अक्टूबर में थोक मुद्रास्फीति में गिरावट, खाद्य पदार्थों की कीमतों में कमी का असर
थोक मुद्रास्फीति में कमी का विश्लेषण
दालों और सब्जियों की कीमतों में कमी के साथ-साथ ईंधन और विनिर्मित वस्तुओं की कीमतों में नरमी के चलते अक्टूबर में थोक मुद्रास्फीति में गिरावट आई है। यह दर 27 महीने के निचले स्तर पर 1.21 प्रतिशत दर्ज की गई। पिछले साल सितंबर में यह 0.13 प्रतिशत और अक्टूबर 2024 में 2.75 प्रतिशत थी।
मुद्रास्फीति में गिरावट के कारण
उद्योग मंत्रालय के अनुसार, अक्टूबर 2025 में मुद्रास्फीति में कमी का मुख्य कारण खाद्य पदार्थों, कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, बिजली, खनिज तेलों और मूल धातुओं की कीमतों में कमी रही। थोक मूल्य सूचकांक के आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर सितंबर में 5.22 प्रतिशत से घटकर अक्टूबर में 8.31 प्रतिशत हो गई। प्याज, आलू, सब्जियों और दालों की कीमतों में गिरावट देखी गई।
दालों और सब्जियों की कीमतों में गिरावट
सब्जियों की महंगाई दर अक्टूबर में 34.97 प्रतिशत कम हुई, जबकि सितंबर में यह 24.41 प्रतिशत थी। दालों में भी अक्टूबर में 16.50 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि आलू और प्याज में क्रमशः 39.88 प्रतिशत और 65.43 प्रतिशत की कमी आई।
विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति
विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति सितंबर के 2.33 प्रतिशत से घटकर 1.54 प्रतिशत हो गई। ईंधन और बिजली की कीमतें अक्टूबर में 2.55 प्रतिशत कम हुईं, जबकि पिछले महीने में इनमें 2.58 प्रतिशत की गिरावट आई थी।
भविष्य की संभावनाएं
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के कार्यकारी निदेशक ने कहा कि वित्त वर्ष 2025-26 के शेष समय में थोक मुद्रास्फीति में गिरावट जारी रहने की उम्मीद है। उनका अनुमान है कि नवंबर 2025 में यह दर एक प्रतिशत से कम रहेगी।
जीएसटी में कटौती का प्रभाव
22 सितंबर से जीएसटी की दरों में कटौती के बाद थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में अपेक्षित गिरावट आई है। दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर जीएसटी दरों में कटौती की गई, जिससे वस्तुओं की कीमतें कम हुईं।
खुदरा मुद्रास्फीति का आंकड़ा
अक्टूबर में खुदरा मुद्रास्फीति 0.25 प्रतिशत के सर्वकालिक निम्न स्तर पर रही, जो जीएसटी दरों में कटौती और पिछले साल के उच्च आधार के कारण कम हुई। सितंबर में यह 1.44 प्रतिशत थी।
आरबीआई की नीतियों पर प्रभाव
भारतीय रिजर्व बैंक खुदरा मुद्रास्फीति पर नजर रखता है। केंद्रीय बैंक ने इस महीने की शुरुआत में नीतिगत दर को 5.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा था। मुद्रास्फीति में गिरावट से आरबीआई पर अगली मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में दरों में कटौती का दबाव बढ़ेगा।
उद्योग मंडल की उम्मीदें
पीएचडीसीसीआई के सीईओ ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में कमी, खाद्यान्नों के पर्याप्त भंडार और खरीफ की अच्छी फसल के कारण थोक मुद्रास्फीति सीमित दायरे में रहने की उम्मीद है।