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अनिल अंबानी ने ईडी के समक्ष डिजिटल माध्यम से पेश होने की पेशकश की

अनिल अंबानी ने प्रवर्तन निदेशालय के समक्ष डिजिटल माध्यम से पेश होने की पेशकश की है। यह कदम विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के तहत चल रही जांच के संदर्भ में उठाया गया है। अंबानी ने ईडी को पत्र लिखकर जांच में पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया है। यह मामला जयपुर-रींगस राजमार्ग परियोजना से जुड़ा है, जिसमें हवाला के माध्यम से धनराशि के अवैध हस्तांतरण का संदेह है। जानें इस मामले की विस्तृत जानकारी और अंबानी की भूमिका के बारे में।
 

अनिल अंबानी का ईडी के समक्ष पेश होने का प्रस्ताव

रिलायंस समूह के प्रमुख अनिल अंबानी ने शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समक्ष डिजिटल तरीके से हाजिर होने का प्रस्ताव दिया है, जो कि विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत जारी समन के बाद किया गया।


अंबानी (66) के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि उन्होंने ईडी को पत्र लिखकर इस जांच में 'पूर्ण सहयोग' का आश्वासन दिया है।


सूत्रों के अनुसार, ईडी ने अंबानी को व्यक्तिगत रूप से पेश होने और फेमा के तहत अपना बयान दर्ज कराने के लिए कहा था। यह जांच जयपुर-रींगस राजमार्ग परियोजना से संबंधित है, जिसमें एजेंसी को संदेह है कि लगभग 100 करोड़ रुपये की धनराशि हवाला के माध्यम से विदेश भेजी गई थी।


सूत्रों ने बताया कि ईडी ने कुछ कथित हवाला डीलरों सहित कई व्यक्तियों के बयान दर्ज किए हैं, जिसके बाद अंबानी को तलब करने का निर्णय लिया गया। हवाला अवैध धन की आवाजाही को दर्शाता है, जिसमें अधिकतर नकद शामिल होता है।


ईडी ने पहले अंबानी से उनके समूह की कंपनियों के खिलाफ कथित तौर पर 17,000 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी से जुड़े धन शोधन मामले में पूछताछ की थी। बयान में कहा गया है, 'यह मामला (फेमा मामला) 15 साल पुराना है, 2010 का है और एक सड़क ठेकेदार से जुड़ा है।'


बयान में यह भी कहा गया है कि 'रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड' ने 2010 में जेआर टोल रोड (जयपुर-रींगस राजमार्ग) के निर्माण के लिए ईपीसी अनुबंध प्रदान किया था।


इसके अनुसार, 'यह पूरी तरह से घरेलू अनुबंध था जिसमें किसी भी प्रकार का विदेशी मुद्रा घटक शामिल नहीं था।'


बयान में यह भी उल्लेख किया गया है कि 'जेआर टोल रोड पूरी तरह से बनकर तैयार हो चुका है और 2021 से यह पिछले चार वर्षों से भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के पास है।'


अंबानी रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर के बोर्ड के सदस्य नहीं हैं। बयान में कहा गया है, 'उन्होंने अप्रैल 2007 से मार्च 2022 तक लगभग 15 वर्षों तक कंपनी में केवल एक गैर-कार्यकारी निदेशक के रूप में कार्य किया और कंपनी के दैनिक प्रबंधन में कभी शामिल नहीं रहे।'