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रुपये में गिरावट, अमेरिकी डॉलर की मजबूती का असर

रुपये ने शुक्रवार को तीन पैसे की गिरावट के साथ 88.73 प्रति डॉलर पर कारोबार समाप्त किया। अमेरिकी डॉलर की मजबूती और कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि ने रुपये पर दबाव डाला। बिहार चुनाव के बाद घरेलू शेयर बाजारों में तेजी आई, जिससे रुपये को कुछ समर्थन मिला। इस लेख में रुपये की स्थिति, डॉलर सूचकांक, शेयर बाजार की गतिविधियाँ और थोक मुद्रास्फीति में गिरावट के कारणों पर चर्चा की गई है।
 

रुपये की स्थिति

शुक्रवार को रुपये ने तीन पैसे की गिरावट के साथ 88.73 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर कारोबार समाप्त किया। अमेरिकी डॉलर की मजबूती और कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि ने घरेलू मुद्रा पर दबाव डाला।


विदेशी मुद्रा व्यापारियों के अनुसार, बिहार चुनाव में सत्तारूढ़ गठबंधन को मिले व्यापक जनादेश के बाद घरेलू शेयर बाजारों में तेजी से रुपये को निचले स्तर पर समर्थन मिला।


बाजार में उतार-चढ़ाव

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपये की शुरुआत 88.70 प्रति डॉलर से हुई। कारोबार के दौरान यह 88.75 प्रति डॉलर के निचले स्तर तक पहुंचा। अंततः, रुपये ने 88.73 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद किया, जो पिछले बंद भाव से तीन पैसे की कमी है।


बृहस्पतिवार को रुपये का बंद भाव 88.70 प्रति डॉलर था।


डॉलर सूचकांक और शेयर बाजार

इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.12 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 99.27 पर पहुंच गया।


घरेलू शेयर बाजारों में सेंसेक्स 84.11 अंक की वृद्धि के साथ 84,562.78 अंक पर और निफ्टी 30.90 अंक की बढ़त के साथ 25,910.05 अंक पर बंद हुआ।


कच्चे तेल की कीमतें

अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड की कीमत 1.59 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 63.98 डॉलर प्रति बैरल रही।


शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) ने बृहस्पतिवार को बिकवाल रहते हुए 383.68 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।


थोक मुद्रास्फीति में गिरावट

इस बीच, दालों और सब्जियों जैसी खाद्य वस्तुओं की कीमतों में कमी के साथ-साथ ईंधन और विनिर्मित वस्तुओं की कीमतों में नरमी से थोक मुद्रास्फीति में अक्टूबर में गिरावट आई, जो 27 महीने के निचले स्तर पर 1.21 प्रतिशत रही।


थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति सितंबर में 0.13 प्रतिशत और अक्टूबर 2024 में 2.75 प्रतिशत रही।