एनडीआरआई ने विकसित किया कृत्रिम पेट, पशुओं के पाचन में मिलेगी मदद
करनाल में एनडीआरआई की नई खोज
करनाल (NDRI)। राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई) के वैज्ञानिकों ने पशुओं के पेट में चारे के पाचन की प्रक्रिया और उससे बनने वाले पोषक तत्वों के साथ मिथेन जैसी गैसों के निर्माण को समझने के लिए एक कृत्रिम पेट (मशीन) विकसित किया है। इस नवाचार से पशुओं के पेट में छेद करने की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी, जो कि उनके लिए एक कष्टप्रद प्रक्रिया होती है।
एनडीआरआई के वैज्ञानिकों की उपलब्धि
एनडीआरआई के पशुपोषण विभाग के प्रमुख डॉ. रमन मलिक ने बताया कि पेट से संबंधित अधिकांश बीमारियां और समस्याएं उत्पन्न होती हैं। यह महत्वपूर्ण है कि पशुओं से निकलने वाली मीथेन गैस स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। इसलिए यह जानना आवश्यक है कि पेट में चारा कैसे पचता है और इससे कौन-कौन से पोषक तत्व बनते हैं।
कंटीन्यूअस रूमेन बायोरिएक्टर का विकास
डॉ. मलिक और उनकी टीम ने निदेशक डॉ. धीर सिंह के मार्गदर्शन में कंटीन्यूअस रूमेन बायोरिएक्टर (सीआरबी) तैयार किया है। यह कृत्रिम पेट पशु के पेट जैसी स्थिति को पुनः निर्मित करता है, जिससे चारे को सीधे सीआरबी में डालकर पाचन प्रक्रिया का अध्ययन किया जा सकेगा।
नमूनों की जांच में सुधार
डॉ. मलिक के अनुसार, पहले एक बार में केवल एक नमूने पर काम किया जाता था, लेकिन अब एक साथ 30 से 35 नमूने भी जांचे जा सकेंगे। इससे यह पता चलेगा कि चारा पेट में जाने के बाद क्या होता है, जैसे कि वोलेटाइल फैटी एसिड (वीएफए), प्रोटीन, एसिडिटी (पीएच) और कौन-कौन सी गैसें बनती हैं।
पशुओं को बिना दर्द के जांच
उन्होंने बताया कि पहले जांच के लिए पशुओं को दर्दनाक प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता था। पशुओं में चार पेट होते हैं, जिनमें सबसे बड़ा रूमेन होता है। पहले इसी रूमेन में छेद करके चारे को डाला जाता था, लेकिन अब सीआरबी के माध्यम से बिना किसी दर्द के जांच की जा सकेगी।