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महाकुंभ का समापनः श्रद्धालुओं की विशाल संख्या ने दुष्प्रचार को बेमानी साबित किया

 


-दीपक कुमार त्यागी

महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर 26 फरवरी के सूर्यास्त के साथ महाकुंभ का समापन हो चुका है। 13 जनवरी से 26 फरवरी तक 45 दिन चले इस महाकुंभ में 66 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। महाकुंभ के दौरान त्रिवेणी घाटों पर डुबकी लगाने वालों की यह संख्या कई देशों की मिलीजुली कुल आबादी से भी ज्यादा है। दुनिया में सिर्फ भारत और चीन की आबादी महाकुंभ में आए श्रद्धालुओं से अधिक है। महाकुंभ ने देश-दुनिया में विश्व के सबसे प्राचीन सनातन धर्म की महान संस्कृति व अद्भुत परंपरा की दिव्यता का डंका बजाने का कार्य बखूबी किया। मोदी व योगी सरकार के प्रयासों से इस बार प्रयागराज में संगम की पावन धारा में 66 करोड़ लोगों ने डुबकी लगा कर तन-मन की शुद्धि और आत्मा की तृप्ति वाला अलौकिक अनुभव प्राप्त किया। इस बार महाकुंभ में 75 देशों के डेलीगेट्स के अतिरिक्त देश-दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों के सेलिब्रिटी व उद्योगपति भी शामिल हुए, जो सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार के मद्देनजर बहुत अच्छा व सकारात्मक संकेत है।

देखा जाए तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार के प्रयासों व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार के प्रचार-प्रसार एवं लगातार प्रयासों के चलते महाकुंभ 2025 के शुरू होने से पहले ही लगभग 40-45 करोड़ लोगों के आने का अनुमान लगाया जाने लगा था।हालांकि समापन महाशिवरात्रि तक संगम तट पर 66 करोड़ से ज्यादा लोगों की भारी भरकम भीड़ उमड़ पड़ी, जिसने दुनिया को दिखा दिया कि अलग-अलग हिस्सों में बसे सनातन धर्मी एकजुट, कानून एवं अनुशासन पसंद हैं। तभी तो हजारों किलोमीटर की दूरी से आकर लंबी पैदल यात्रा के बाद भी अनुशासित ढंग से डुबकी लगाकर सनातन धर्म, संस्कृति, परंपराओं व ईश्वर भक्ति के अटूट विश्वास को बयां करने का कार्य किया। सनातन धर्म व संस्कृति पर सवाल उठाने वालों को भी शांतिपूर्ण ढंग से जवाब दिया है।

महाकुंभ के दौरान देश में चंद लोगों की ऐसी जमात भी खड़ी हो गई जिन्हें महाकुंभ में सबकुछ गलत होता हुआ ही नजर आ रहा था। इस जमात को महाकुंभ की व्यवस्था में काफी खामियां नजर आई और उनकी नजर में हर तरफ गंदगी व अव्यवस्था का आलम था। यहां तक कि गंगाजल की पवित्रता पर भी संदेह व्यक्त किया जाने लगा। नदी में जल की जगह मल-मूत्र वाला नालों का जहरीला पानी नजर आने लगा। विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिये इस जमात ने जैसे कुंभ के खिलाफ अभियान शुरू कर दिया। लेकिन 144 वर्ष बाद लगे इस महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं ने तमाम दुष्प्रचारों को अनसुना करते हुए अपनी आस्था की राह पर चल कर प्रयागराज पहुंचे और त्रिवेणी की धारा में उतर कर अपने धार्मिक विश्वास को जैसे सार्थक कर दिखाया। इतनी विशाल संख्या में पहुंच कर श्रद्धालुओं ने कीर्तिमान रच दिया। महाकुंभ नगरी में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में महाकुंभ की तमाम व्यवस्था चाक-चौबंद नजर आई।

लोगों का मानना है कि योगी आदित्यनाथ के प्रयासों के चलते इस अलौकिक धार्मिक आयोजन को हमेशा याद रखा जाएगा। योगी सरकार ने जिस तरह महाकुंभ में आये लगभग 66 करोड़ से ज्यादा लोगों की सुख-सुविधा के लिए इंतजाम किये, वह प्रशंसनीय हैं। इसके बावजूद वोटबैंक की ओछी राजनीति के चलते महाकुंभ 2025 के शुरू होने से पहले योगी आदित्यनाथ व उत्तर प्रदेश सरकार को कुछ लोगों ने निशाने पर लेना शुरू कर दिया था। विपक्षियों को महाकुंभ में पहले दिन से गंदगी के अंबार, अव्यवस्थाओं की भरमार, गंदा जल, कड़ाके की ठंड में स्नान व भूख व प्यास से मरते लोग, तीन-तीन सौ किमी तक लंबा जाम नजर आ रहा था।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसी भी आलोचना की परवाह नहीं की। वे महाकुंभ 2025 की व्यवस्थाओं को चाक-चौबंद कर उसे सफल बनाने में लगे रहे। इस व्यवस्था को बनाने में केंद्र की मोदी सरकार व योगी सरकार ने 7500 करोड़ रुपए खर्च किये। जिसके फलस्वरूप लगभग 66 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने महाकुंभ पहुंच कर स्नान करके दुनिया के सबसे बड़े आयोजन का खिताब हासिल कर इतिहास रचने कार्य किया। वैसे देखा जाए तो महाकुंभ के इस आयोजन का धार्मिक आस्था के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था से भी बहुत गहरा संबंध है। इस आयोजन के दौरान प्रयागराज, अयोध्या, वाराणसी, विंध्याचल, चित्रकूट, मथुरा-वृन्दावन, लखनऊ, आगरा, दिल्ली आदि में श्रद्धालुओं व पर्यटकों की भारी भीड़ का तांता लगा रहा है, जिससे इस क्षेत्र का व्यापार जमकर फला-फूला है, जिससे उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी जबरदस्त मजबूती मिली।

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआइटी) के अनुमान के अनुसार, महाकुंभ में 3.25 लाख करोड़ रुपये से अधिक के व्यापार होने की उम्मीद है। वहीं, सीटीआई के अनुमान के अनुसार महाकुंभ में 3.5 लाख करोड़ रुपए का व्यापार का अनुमान है, जिससे उत्तर प्रदेश व केंद्र सरकार दोनों को भारी लाभ होगा। देश व दुनिया के लगभग 66 करोड़ श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के चलते महाकुंभ 2025 आस्था और अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण संगम बन गया।

(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

हिन्दुस्थान समाचार / संजीव पाश