विवाह मुहूर्त: खरमास और शुक्र के अस्त होने का प्रभाव
विवाह सीजन का संक्षिप्त अवलोकन
इस वर्ष देवउठनी एकादशी के बाद विवाह का सीजन केवल कुछ दिनों तक ही सक्रिय रहा। ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, शुक्र ग्रह के अस्त होने और खरमास के आगमन के कारण लगभग 52 दिनों तक विवाह और अन्य शुभ कार्यों पर रोक लगेगी।
खरमास और शुक्र के अस्त का महत्व
वेदिक पंचांग के अनुसार, जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करता है, तब खरमास की शुरुआत होती है, जिसे शास्त्रों में निषेध काल कहा जाता है। इस दौरान विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण, भूमि पूजन और यज्ञोपवित जैसे कार्य शुभ नहीं माने जाते।
ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि खरमास में सूर्य की गति धीमी हो जाती है और ग्रहों का प्रभाव कमजोर होता है। ऐसे समय में सकारात्मक कार्यों का फल अपेक्षित नहीं होता।
इस बार खरमास 16 दिसंबर से 14 जनवरी तक रहेगा। 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे, जिससे शुभ कार्य फिर से आरंभ होंगे।
शुक्र ग्रह के अस्त होने से विवाह पर प्रभाव
पंडितों के अनुसार, विवाह के लिए शुक्र और बृहस्पति का उदय होना आवश्यक है। शुक्र का अस्त काल 12 दिसंबर से 31 जनवरी तक माना गया है, और इसके बाद यह 1 फरवरी को फिर से उदित होगा।
इस कारण, जनवरी 2026 में कोई भी विवाह मुहूर्त नहीं होगा, जिससे शहनाइयां लगभग दो महीने के लिए शांत रहेंगी।
ज्योतिषाचार्य रमण वत्स का कहना है कि शुक्र के अस्त होने पर वैवाहिक जीवन और सौभाग्य के प्रतीक ग्रह की स्थिति कमजोर होती है, इसलिए विवाह संस्कार स्थगित किए जाते हैं।
2026 के प्रमुख विवाह मुहूर्त
5 फरवरी 2026 से मंगल कार्यों की शुरुआत होगी। विवाह सीजन के लिए शुभ माने जाने वाले तिथियाँ इस प्रकार हैं:
फरवरी: 5, 6, 8, 10, 12, 14, 19, 20, 21
मार्च: 7, 8, 9, 11, 12
अप्रैल: 15, 20, 21, 23, 25, 26, 27, 28, 29, 30
मई: 1, 3, 5, 6, 7, 8, 13, 14
जून: 21, 22, 23, 24, 25, 26, 27, 29
जुलाई: 1, 6, 7, 11, 12
नवंबर: 21, 24, 25, 26
दिसंबर: 2, 3, 4, 5, 6
इस जानकारी का महत्व
भारत में अधिकांश विवाह मुहूर्त पर आधारित होते हैं। इस प्रकार, शादी की तारीख, स्थल बुकिंग, पारिवारिक व्यवस्थाएं और यात्रा योजना सभी ग्रह स्थितियों से प्रभावित होते हैं।
इसलिए, यह निर्णय शहरों से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक लाखों परिवारों के आयोजन समय पर असर डालता है।