वृश्चिक संक्रांति 2025: जानें इस दिन के महत्व और दान के शुभ फल
वृश्चिक संक्रांति का महत्व
नई दिल्ली: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है, तो इसे संक्रांति कहा जाता है। सनातन धर्म में हर संक्रांति का धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से विशेष महत्व होता है। नवंबर में आने वाली संक्रांति को वृश्चिक संक्रांति कहा जाता है, जो सूर्य देव की आराधना, पवित्र स्नान और दान-पुण्य का महत्वपूर्ण पर्व है।
वृश्चिक संक्रांति आत्मिक शुद्धि और पुण्य प्राप्ति का एक महत्वपूर्ण अवसर है। मान्यता है कि इस दिन श्रद्धा से किया गया दान जीवन में सौभाग्य और समृद्धि के नए द्वार खोलता है। आइए जानते हैं कि इस साल वृश्चिक संक्रांति कब है और इस दिन कौन से दान से शुभ फल प्राप्त होते हैं।
वृश्चिक संक्रांति का समय और शुभ मुहूर्त
इस वर्ष वृश्चिक संक्रांति 16 नवंबर 2025, रविवार को मनाई जाएगी। ज्योतिष गणना के अनुसार, इसी दिन सूर्य देव तुला राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे।
पुण्य काल: सुबह 8:02 से दोपहर 1:45 बजे तक
महापुण्य काल: सुबह 11:58 से दोपहर 1:45 बजे तक
संक्रांति का समय: दोपहर 1:45 बजे
इन पवित्र कालों में स्नान, सूर्य पूजा और दान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
वृश्चिक संक्रांति पर दान का महत्व
वृश्चिक संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा, मंत्र जाप और पवित्र नदियों में स्नान करने से नकारात्मकता दूर होती है और पितरों को शांति मिलती है। इस दिन किया गया दान जीवन में स्थिरता, स्वास्थ्य और समृद्धि का वरदान देता है। विशेष रूप से गाय का दान और अन्न दान इस दिन अत्यंत शुभ माना गया है।
अन्न दान से स्थायी सुख और समृद्धि
इस दिन गरीबों को गेहूं, चावल, दाल आदि का दान करने से घर में अन्न की कमी नहीं होती। ऐसा दान लक्ष्मी कृपा को स्थायी बनाता है और आर्थिक जीवन को संतुलित रखता है।
वस्त्र और धन दान से भाग्य में वृद्धि
इस दिन नए या उपयोगी पुराने कपड़ों का दान करना पुण्यकारी माना गया है। यह न केवल भाग्यवृद्धि करता है, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा भी बढ़ाता है। मंदिर, गौशाला या अनाथालय में धन दान करने से आर्थिक संकटों से मुक्ति मिलती है।
शास्त्रों के अनुसार, वृश्चिक संक्रांति पर लाल रंग के फल और मिठाई का दान करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यह दान घर-परिवार में खुशहाली और नए अवसरों का मार्ग प्रशस्त करता है।
क्या करें और क्या न करें
स्नान और सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद ही दान करें।
दान हमेशा सम्मानपूर्वक और श्रद्धा से करें।
इस दिन आलस्य, क्रोध और अपवित्र भोजन से बचें।
दान के बाद सूर्य देव की पूजा करें और उन्हें प्रणाम अवश्य करें।
वृश्चिक संक्रांति आत्मिक शुद्धि और दान के माध्यम से शुभता प्राप्त करने का श्रेष्ठ अवसर है।