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उत्तर प्रदेश में छांगुर बाबा पर लगे गंभीर आरोप, मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू

उत्तर प्रदेश में छांगुर बाबा, जिनका असली नाम जमालुद्दीन है, पर गंभीर आरोप लगे हैं। उन्हें एटीएस ने हिरासत में लिया है, और उन पर एक संगठित रैकेट चलाने का आरोप है। जांच में यह भी सामने आया है कि उन्होंने एक फर्जी संगठन बनाया था, जो आरएसएस से जुड़ा दिखता था। ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू कर दी है और कई स्थानों पर छापेमारी की है। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और इसके पीछे की सच्चाई।
 

धार्मिक परिवर्तन के आरोपों में छांगुर बाबा की गिरफ्तारी

धार्मिक परिवर्तन के गंभीर आरोपों में फंसे छांगुर बाबा, जिनका असली नाम जमालुद्दीन है, वर्तमान में उत्तर प्रदेश एटीएस की हिरासत में हैं। उन पर एक संगठित रैकेट चलाने का आरोप है, और जांच में यह भी सामने आया है कि उन्होंने खुद को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का सीनियर अधिकारी बताकर एक फर्जी संगठन स्थापित किया और उसका प्रचार किया। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच भी शुरू कर दी है।


फर्जी संगठन का निर्माण और प्रचार

छांगुर बाबा और उनके सहयोगी ईदुल इस्लाम ने 'भारत प्रतिकार्थ सेवा संघ' नामक एक संगठन बनाया, जो आरएसएस से संबंधित प्रतीत होता है। रिपोर्टों के अनुसार, इस संगठन के लेटरहेड पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर लगाई गई थी, जिससे इसकी विश्वसनीयता बढ़ी। इसके अलावा, नागपुर में एक फर्जी केंद्र खोला गया ताकि यह संघ के मुख्यालय से जुड़ा हुआ लगे। इसका उद्देश्य लोगों को भ्रमित कर धर्मांतरण के जाल में फंसाना था।


लक्षित समुदाय और ईडी की कार्रवाई

उदार सोच वाले हिंदू और दरगाह जाने वाले थे निशाने पर


पुलिस जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि छांगुर बाबा का रैकेट उन लोगों को निशाना बनाता था जो दरगाहों पर मन्नत मांगने आते थे या जिनकी धार्मिक सोच उदार होती थी। विशेष रूप से हिंदू महिलाओं और परिवारों को उनके धार्मिक झुकाव के आधार पर इस गिरोह ने निशाना बनाया। बाबा के साथ उनकी सहयोगी नसरीन उर्फ नीतू और उनका बेटा भी इस नेटवर्क का हिस्सा थे। ये लोग लोगों को धोखे में डालकर धर्म परिवर्तन कराते थे.


ईडी की छापेमारी और रिकवरी

मनी लॉन्ड्रिंग केस में कार्रवाई


मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में ईडी ने 14 स्थानों पर छापेमारी की, जिनमें 12 ठिकाने उत्तर प्रदेश के उतरौला में और दो मुंबई में थे। इन छापों में जमीनों के दस्तावेज, सोना, लग्ज़री गाड़ियां और बेहिसाब नकदी बरामद की गई है। जांच में यह भी सामने आया है कि इस रैकेट को 106 करोड़ रुपये की विदेशी फंडिंग मिली, जो मुख्य रूप से मध्य पूर्व से आई। एटीएस ने हाल ही में देहरादून के सहसपुर क्षेत्र से अब्दुल रहमान नामक एक व्यक्ति को भी हिरासत में लिया है, जो इस नेटवर्क से जुड़ा बताया जा रहा है.