अष्टांग नमस्कार: पेट की चर्बी कम करने का प्रभावी आसन
अष्टांग नमस्कार का महत्व
यदि आप जिम में घंटों मेहनत करने के बावजूद पेट की चर्बी कम नहीं कर पा रहे हैं और शरीर में थकान महसूस कर रहे हैं, तो अष्टांग नमस्कार आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। यह आसन पीठ और कमर के दर्द से भी राहत प्रदान करता है।
आयुष मंत्रालय की जानकारी
भारत सरकार का आयुष मंत्रालय अष्टांग नमस्कार के महत्व पर प्रकाश डालता है। इसका नियमित अभ्यास न केवल पेट की चर्बी को कम करने में सहायक है, बल्कि यह हाथों को मजबूत बनाने और पूरे शरीर को स्वस्थ और लचीला बनाने में भी मदद करता है।
अष्टांग नमस्कार का अभ्यास
यह आसन सूर्य नमस्कार की श्रृंखला का छठा आसन है। इसमें शरीर के आठ अंग (दोनों हाथ, दोनों घुटने, छाती, ठोड़ी और दोनों पैरों की उंगलियां) एक साथ जमीन को छूते हैं, इसलिए इसे अष्टांग नमस्कार कहा जाता है। इस आसन में व्यक्ति पेट के बल लेटकर छाती और ठोड़ी को जमीन पर टिकाता है, जबकि कूल्हे हल्के ऊपर रहते हैं।
अष्टांग नमस्कार के लाभ
इस आसन के अभ्यास से कई लाभ होते हैं। यह हाथों को मजबूत बनाता है और कोहनी मोड़कर शरीर का भार हाथों पर लेने से कलाइयों, बाजुओं और कंधों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। पेट जमीन की ओर दबता है, जिससे पेट और कमर की अतिरिक्त चर्बी कम होती है। यह छाती की जकड़न को भी खोलता है, जिससे फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है और सांस की तकलीफ में राहत मिलती है।
सावधानियां
नियमित अभ्यास से शरीर में लचीलापन बढ़ता है। अष्टांग नमस्कार करने से कुछ ही हफ्तों में पेट की चर्बी में कमी और शरीर में ऊर्जा महसूस होने लगती है। हालांकि, एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि यदि आपको घुटनों, कलाइयों या कमर में गंभीर दर्द है, तो इस आसन का अभ्यास न करें। गर्भवती महिलाएं और हाल में पेट की सर्जरी कराने वाले व्यक्तियों को भी इस आसन से बचना चाहिए। सांस को जबरदस्ती न रोकें, सामान्य सांस लें। शुरुआत में किसी योग प्रशिक्षक की देखरेख में अभ्यास करना बेहतर है।