मानसून में मिर्गी का खतरा: टेपवर्म के प्रभाव और बचाव के उपाय
मिर्गी के कारण: मानसून का प्रभाव
मानसून का आगमन पूरे देश में हो चुका है, जिससे लगातार बारिश हो रही है। इस मौसम में भीगने से कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, जैसे फ्लू और वायरल संक्रमण। इसके अलावा, जलजनित बीमारियाँ जैसे टाइफाइड, डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया भी फैलने लगती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस मौसम में एक विशेष कीड़ा, टेपवर्म, मिर्गी जैसी गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है?
भारत में मिर्गी के मरीजों की संख्या
राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के अनुसार, भारत में लगभग 1 करोड़ लोग मिर्गी से प्रभावित हैं। हालांकि, यह संख्या वास्तविकता से कम हो सकती है। मिर्गी के कई कारण हो सकते हैं, जैसे मस्तिष्क में चोट, संक्रमण और आनुवंशिक समस्याएँ। लेकिन भारत में मिर्गी का प्रमुख कारण टेपवर्म है।
विशेषज्ञों की राय
गुरुग्राम के एक अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख, डॉक्टर प्रवीण गुप्ता, ने बताया कि उनके 20 वर्षों के अनुभव में, मिर्गी के अधिकांश मामलों का कारण टेपवर्म होता है। ये कीड़े बारिश के मौसम में अधिक सक्रिय होते हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में आमतौर पर पाए जाते हैं। कई बार ये कीड़े सब्जियों में भी मिलते हैं, जिन्हें खाने से पहले अच्छी तरह से धोना आवश्यक है।
टेपवर्म के खतरे
टेपवर्म खाने-पीने के माध्यम से शरीर में प्रवेश करते हैं और केवल मिर्गी ही नहीं, बल्कि अन्य कई बीमारियों का कारण बन सकते हैं। इनमें आंतों की समस्याएँ, लिवर की बीमारियाँ, पेट दर्द, दस्त और अन्य अंगों का विफल होना शामिल है। ये कीड़े शरीर में विटामिन और मिनरल्स की कमी भी कर सकते हैं।
क्या मिर्गी का इलाज संभव है?
मिर्गी का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन इसे नियंत्रित करने के लिए दवाओं का उपयोग किया जाता है। इसके साथ ही, जीवनशैली में सुधार भी मददगार हो सकता है। लगभग 70% मरीजों के लिए दवाएँ दौरे को नियंत्रित करने में सहायक होती हैं।
टेपवर्म से बचने के उपाय
टेपवर्म से बचने के लिए मानसून में हरी पत्तेदार सब्जियाँ खाने से बचें। मांस को अच्छे से धोकर और पकाकर ही खाएँ। टॉयलेट के बाद हाथों को साबुन से धोना न भूलें और पालतू जानवरों के साथ संपर्क के बाद भी सफाई का ध्यान रखें।
टेपवर्म के लक्षण
- वजन में कमी।
- भूख में कमी।
- पेट में दर्द या मरोड़।
- कमजोरी महसूस करना।