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Shashi Tharoor का अमेरिका पर कड़ा हमला: भारत को मिले भेदभावपूर्ण टैरिफ

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए भारी टैरिफ पर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि यह भेदभावपूर्ण है, खासकर जब चीन को अधिक समय दिया गया है। थरूर ने भारत को भी समान प्रतिक्रिया देने की सलाह दी है। जानें इस मुद्दे पर उनके विचार और भारतीय व्यापार पर इसके संभावित प्रभाव के बारे में।
 

Shashi Tharoor की प्रतिक्रिया

Shashi Tharoor: कांग्रेस के सांसद शशि थरूर ने अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए भारी टैरिफ पर कड़ी आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि यह केवल प्रतिस्पर्धात्मक नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक गहरा संदेश छिपा हो सकता है। थरूर ने यह भी कहा कि जब चीन रूस से भारत से दोगुना तेल खरीद रहा है, तब भारत को केवल तीन हफ्तों का समय देना और चीन को 90 दिन की छूट देना, स्पष्ट भेदभाव का संकेत है।


अमेरिका का नया टैरिफ

गुरुवार को लागू हुए 25% अतिरिक्त शुल्क को अमेरिका ने इस महीने के अंत तक 50% तक बढ़ाने की योजना बनाई है। ऐसे में भारत को अमेरिका के इस निर्णय पर गहन रणनीतिक और आर्थिक दृष्टिकोण से प्रतिक्रिया देने की आवश्यकता है। थरूर ने कहा, "अगर स्थिति में कोई बदलाव नहीं होता है, तो तीन हफ्तों बाद भारत को भी समान दर से जवाब देना चाहिए।"


चीन को मिली छूट, भारत पर सख्ती

थरूर ने कहा, "चीन रूस से लगभग दोगुना तेल खरीद रहा है और उन्हें 90 दिन का समय दिया गया है, जबकि भारत को केवल तीन हफ्ते दिए गए हैं। यह भेदभावपूर्ण रवैया दर्शाता है कि अमेरिका की मंशा केवल व्यापार संतुलन सुधारने की नहीं, बल्कि कुछ और संदेश देने की है।" उन्होंने यह भी बताया कि भारत से अमेरिका में आने वाले आयात पर औसतन 17% शुल्क लगता है, ऐसे में अमेरिका द्वारा लगाए गए 25% या संभावित 50% शुल्क को केवल प्रतिस्पर्धात्मक कहना उचित नहीं होगा।


भारत को भी देना चाहिए जवाब

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, "भारत की नीति धमकी देने की नहीं है, लेकिन अगर अमेरिका अपने फैसले में बदलाव नहीं करता, तो हमें भी वैसा ही शुल्क लगाना चाहिए।" उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि वह स्थिति को सावधानीपूर्वक समझे और उचित प्रतिक्रिया दे।


भारतीय व्यापार पर पड़ सकता है गहरा असर

थरूर ने यह भी स्वीकार किया कि इन टैरिफ्स का भारत के निर्यात पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। भारत और अमेरिका के बीच लगभग 90 अरब डॉलर का व्यापार होता है। यदि भारतीय सामान की कीमतें 50% तक बढ़ जाती हैं, तो अमेरिकी उपभोक्ता उन्हें खरीदने से कतराएंगे। उन्होंने चेतावनी दी कि इस स्थिति का लाभ वियतनाम, इंडोनेशिया, पाकिस्तान, बांग्लादेश और चीन जैसे प्रतिस्पर्धी देशों को मिल सकता है, जो कम कीमत पर समान उत्पाद उपलब्ध करा सकते हैं।