झारखंड का 25 वर्ष : सुनहरी उम्मीदों के साथ आगे बढता हुआ राज्य
रांची, 14 नवंबर (हि.स.)। झारखंड अपने स्थापना का 25 वर्ष 15 नवंबर को पूरा करने जा रहा है। झारखंड सुनहरी उम्मीदों के साथ तेजी से आगे बढ रहा है। तमाम राजनीति उथल-पुथल के बीच झारखंड विकास की राह पर आगे बढ रहा है। शहरी क्षेत्र के साथ राज्य के ग्रामीण इलाकों में विकास की किरणें पहुंच रही हैं। झारखंड का शुरूआती दौर की बात करें शुरू के 15 वर्ष का कालखंड भारी राजनीति उथल-पुथल वाला रहा। राज्य के लोगों ने 14 साल के भीतर ही 10 मुख्यमंत्रियों को बदलते हुए देखा। लेकिन वर्ष 2014 में मुख्यमंत्री रघुवर दास की नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। इसके बाद राज्य का विकास पटरी पर लौटा। हालांकि राज्य के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व वाली सरकार ने झारखंड के विकास की बेहर रूपरेखा खींची थी, लेकिन बाबूलाल की सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी और राजनीति षडयंत्र का शिकार हो गई।
इधर, पूर्ववर्ती भाजपा सरकार की ओर से किए गए कार्यों के साथ पिछले छह साल से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली इंडी गंठबंधन की सरकार भी सभी क्षेत्रों में विकास के लिए प्रयत्नशील है। हेमंत सरकार का सबसे अधिक जोर ग्रामीण क्षेत्रों में रहनेवाले लोगों को आर्थिक रूप से सुदृढ करने पर है। राज्य सरकार झारखंड के आधारभूत संरचना के विकास पर भी ध्यान दे रही है।
राजधानी रांची में केंद्र सरकार के सहयोग से तीन फ्लाईओवर का निर्माण का कार्य पूरा किया गया। इससे रांची के लोगों को भारी जाम की समस्या से मुक्ति मिली। रांची में हरमू बाईपास सहित कुछ अन्य फ्लाईओवर का निर्माण कार्य भी प्रस्ता्वित हैं। साथ ही केंद्र सरकार के सहयोग से रांची सहित कई स्टेशनों के विकास और विभिन्न् ट्रेन लाइन के दोहरीकरण से राज्य में रेल सेवा मजबूत हुई है।
इसी तरह राज्य के अन्य प्रमुख शहरों में फ्लाईओवर, आरओबी, बाईपास सहित अन्य सडकों का जाल बिछाया जा रहा है।
इसके अलावा सरकार की ओर से रांची के अलावा राज्य में देवघर और बोकारो शहर भी देश के हवाई मार्ग से जुड गया। इससे राज्य के व्यवसायियों के अलावा आम लोगों को भी हवाई मार्ग से आने-जाने में मदद मिल रही है।
कृषि में तेजी से आगे बढ रहा झारखंड : डॉ हरीश्वर
इस संबंध में राज्य वित्त आयोग के सदस्य डॉ हरीश्वर दयाल कहते हैं कि झारखंड विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से तरक्की कर रहा है। उन्होंने बताया कि हाल ही में नीति आयोग के फिजिकल हेल्थ इंडेक्स में 18 कैटेगरी में झारखंड चौथे स्थान पर रहा। उन्होंने मौजूदा राज्य सरकार की सराहना करते हुए कहा कि यह सरकार राजस्व बढाने, खर्च करने और कर्ज पर ब्याज को सीमित रखने में सफल साबित हुई है। डॉ दयाल का कहना है कि राज्य सरकार ने कृषि के क्षेत्र में काफी अच्छा काम किया है। बागवानी में बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत आम की फसल को काफी बढावा मिला है और इससे राज्य के किसानों की आय बढी है। उन्होंने कहा कि राज्य में हाई वैल्यू क्रॉप्स हो रहे हैं इसमें ड्रैगन फ्रूट का निर्यात झारखंड से मध्यम एशिया के देशों में हो रहा है। इसके अलावा अच्छी किस्म के तरबूज, खरबूज और ब्रॉकली की भी अच्छी उपज हो रही है। साथ ही राज्य में माइक्रो इरीगेशन का विस्तार किया जा रहा है और पशुपालन एवं मत्स्य उत्पादन में भी झारखंड काफी आगे बढ गया है।
यूएन के समाजिक विकास के लक्ष्य हुआ हासिला : डॉ अग्रवाल
एक्सआईएसएस के एचआर विभाग के प्रोफेसर डॉ आरके आग्रवाल कहते हैं कि मानव संसाधन के क्षेत्र में झारखंड ने काफी उन्नति की है। उन्होंने बताया कि संयुक्त राष्ट्र संघ के समाजिक विकास के लक्ष्य को झारखंड ने प्राप्त कर लिया है। उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य के तहत वर्ष 2010 तक शिशु मृत्यु दर का प्रति वर्ष एक हजार के विरूद्ध 70 से नीचे रखा गया था। इस लक्ष्य को झारखंड ने इस साल प्राप्त कर लिया है। उन्होंने कहा कि यह सफलता संस्थागत प्रसव की संख्या में बढोत्तरी होने से मिली है। वे कहते हैं कि झारखंड अब प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) में जरूरी दवाएं मिल रही हैं। इससे लोगों को बीमारियों से लड़ने में काफी मदद मिली है। हालांकि उन्होंने कहा कि झारखंड में अभी भी बहुत कुछ करना है। वे कहते हैं कि गरीबी के मामले में झारखंड 28 राज्यों में से उत्तर प्रदेश और बिहार से आगे है।
झारखंड को अगले 25 वर्षों का बनाना होगा रोडमैप : चेंबर अध्यक्ष
झारखंड के विकास की गति से झारखंड चेंबर अध्यक्ष आदित्य मल्होत्रा संतुष्ट नहीं हैं। इस संदर्भ में वे कहते हैं कि झारखंड को विकास के लिए अगले 25 वर्षों के लिए रोडमैप बनाना होगा। उन्होंने कहा कि झारखंड की अर्थव्यवस्था का जो आकार मौजूदा समय में होना चाहिए था, वह नहीं हो पाया है। राज्य की अर्थव्यवस्था का आकार आज लगभग 1.50 लाख करोड़ रुपये है, जबकि यह कम से कम 3 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचना चाहिए था। उन्होंने कहा कि राज्य की आर्थिक संरचना को सशक्त बनाने के लिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को आधार बनाना जरूरी है।
उन्होंने कहा कि यदि पिछले वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों में कुटीर उद्योगों एवं वन संपदा आधारित उद्योगों को प्रोत्साहन मिला होता, तो रोजगार के अवसरों में वृद्धि के साथ-साथ लोगों की जीवनशैली में भी उल्लेखनीय सुधार होता। उन्होंने सुझाव दिया कि झारखंड को देश और विदेश में एक फ्रेंडली इन्वेस्टमेंट डेस्टिनेशन के रूप में स्थापित किया जाना चाहिए। इस राज्य जैसी प्राकृतिक और खनिज संपदा किसी अन्य राज्य में नहीं है। इसके साथ ही राज्य में प्रशिक्षित और मेहनती मानव संसाधन की भी कोई कमी नहीं है।
मल्होत्रा ने कहा कि आज गुजरात, महाराष्ट्र, केरल और पंजाब जैसे औद्योगिक राज्यों में कामगारों की भारी कमी है। यदि झारखंड के लोगों को अपने ही राज्य में पर्याप्त रोजगार मिल जाए, तो यह न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था को सशक्त करेगा बल्कि मानव पलायन की समस्या भी समाप्त होगी। किसी भी विकास की बुनियाद में ऊर्जा क्षेत्र की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण होती है। झारखंड में कोयला, शौर्य ऊर्जा (सौर), न्यूक्लियर संसाधन और बायोफ्यूल की प्रचुर संभावनाएं हैं। इन क्षेत्रों में निवेश और नीति-निर्माण से झारखंड न केवल ऊर्जा उत्पादन में आत्मनिर्भर बन सकता है, बल्कि देश को ऊर्जा उपलब्ध कराने वाला अग्रणी राज्य भी बन सकता है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार राज्य के विकास में सबसे बड़ी बाधा है। इसलिए इस पर कठोर नियंत्रण जरूरी है।
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हिन्दुस्थान समाचार / Vinod Pathak