जम्मू-कश्मीर में सेब की फसल पर संकट, फारूक अब्दुल्ला ने उठाए गंभीर सवाल
सेब की फसल को भारी नुकसान
फारूक अब्दुल्ला की टिप्पणी: जम्मू-कश्मीर में सेब की फसल को गंभीर नुकसान और राष्ट्रीय राजमार्ग के बंद होने से किसानों की समस्याएं बढ़ गई हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने इसे अल्लाह का प्रकोप बताया, जो लोगों की नमाज से दूरी और गलत कार्यों का परिणाम है। उन्होंने गाजा संकट का उल्लेख करते हुए मुस्लिम देशों की चुप्पी पर भी सवाल उठाए। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से सड़क समस्या के समाधान की मांग की है।
प्राकृतिक आपदा का प्रभाव
जम्मू-कश्मीर के सेब, जो अपनी मिठास के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध हैं, इस वर्ष प्राकृतिक आपदा का शिकार हो गए हैं। भारी बारिश और राष्ट्रीय राजमार्ग के बंद होने के कारण सेब की फसल सड़ रही है, जिससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। फारूक अब्दुल्ला ने इसे अल्लाह का कहर बताया, जिसने न केवल किसानों की आजीविका को प्रभावित किया, बल्कि सामाजिक और धार्मिक प्रश्न भी उठाए।
धार्मिक कर्तव्यों की अनदेखी
अल्लाह का प्रकोप: फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि यह संकट लोगों के धार्मिक कर्तव्यों से दूरी का परिणाम है। उन्होंने कहा कि नमाज छोड़ने और गलत रास्तों पर चलने से यह आपदा आई। गाजा में हो रही तबाही का जिक्र करते हुए उन्होंने मुस्लिम देशों की चुप्पी पर सवाल उठाया और कहा कि ऐसी घटनाएं हमें ईश्वर की ओर लौटने का संदेश देती हैं।
किसानों की आर्थिक स्थिति
सेब किसानों की बदहाली: कश्मीर के सेब किसान इस साल गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं। बारिश और भूस्खलन के कारण फसल सड़ रही है, जिससे लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है। किसानों का कहना है कि उनकी मेहनत बर्बाद हो रही है, और बाजार तक फसल पहुंचाने की कोई व्यवस्था नहीं है। यह स्थिति उनके लिए आर्थिक और भावनात्मक रूप से भारी पड़ रही है।
सड़क परिवहन की समस्या
सड़कों का संकट: राष्ट्रीय राजमार्ग के क्षतिग्रस्त होने से सेब से लदे हजारों ट्रक फंस गए हैं। इससे न केवल किसानों को नुकसान हो रहा है, बल्कि बाजार में सेब की आपूर्ति भी प्रभावित हुई है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की। गडकरी ने 24 घंटे में ठोस कदम उठाने का आश्वासन दिया है।
राजनीतिक टिप्पणी
राजनीति पर सवाल: फारूक ने विपक्ष के प्रशासन पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कुछ लोग राजनीति के माध्यम से अपनी दुकान चला रहे हैं और दिल्ली से मिले पैसे पर निर्भर हैं। उन्होंने जोर दिया कि इस संकट के लिए प्रकृति जिम्मेदार है, न कि कोई सरकार। यह बयान कश्मीर की राजनीति में नई बहस को जन्म दे सकता है।