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डोनाल्ड ट्रंप का एच-1बी वीजा प्रोग्राम का समर्थन

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एच-1बी वीजा प्रोग्राम का समर्थन करते हुए कहा कि अमेरिका को कुछ विशेष उद्योगों के लिए विदेशी प्रतिभाओं की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कुछ विशेष प्रकार की प्रतिभाएं अमेरिका में उपलब्ध नहीं हैं। इस बीच, ट्रंप प्रशासन ने एच-1बी वीजा पर सख्ती की घोषणा की है, जिसमें आवेदन शुल्क को बढ़ाकर 100,000 डॉलर कर दिया गया है। जानें इस विषय पर और क्या हो रहा है, और कैसे यह नीति भारत-अमेरिका संबंधों को प्रभावित कर सकती है।
 

एच-1बी वीजा की आवश्यकता पर ट्रंप का बयान

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एच-1बी वीजा कार्यक्रम का समर्थन करते हुए कहा कि अमेरिका को कुछ विशेष उद्योगों के लिए विदेशी प्रतिभाओं की आवश्यकता है।


फॉक्स न्यूज की एंकर लौरा इंग्राहम के साथ बातचीत में, जब उनसे पूछा गया कि क्या उनकी सरकार एच-1बी वीजा को कम प्राथमिकता देने जा रही है, तो ट्रंप ने स्पष्ट रूप से कहा कि हमें प्रतिभा लाने की आवश्यकता है।


इंग्राहम ने यह कहते हुए जवाब दिया कि हमारे पास पहले से ही बहुत सारी प्रतिभा है, जिस पर ट्रंप ने कहा, 'नहीं, आपके पास नहीं है।'


उन्होंने आगे कहा कि कुछ विशेष प्रकार की प्रतिभाएं अमेरिका में उपलब्ध नहीं हैं। आप बेरोजगारों की कतार में खड़े किसी व्यक्ति को नहीं कह सकते कि वह मिसाइल फैक्ट्री में काम करे। लोगों को यह समझना होगा कि हर काम के लिए विशेष कौशल की आवश्यकता होती है।


एच-1बी वीजा पर सख्ती

हालांकि, यह बयान उस समय आया है जब ट्रंप प्रशासन ने सितंबर में एच-1बी वीजा पर सख्ती की घोषणा की थी, जिसमें आवेदन शुल्क को बढ़ाकर 100,000 डॉलर कर दिया गया था।


इस पहल के तहत, अमेरिकी श्रम विभाग ने एच-1बी कार्यक्रम के दुरुपयोग की संभावनाओं की जांच के लिए 175 से अधिक जांच शुरू की हैं। यह पहल 'प्रोजेक्ट फायरवॉल' के नाम से जानी जाती है, जो उन कंपनियों को लक्षित कर रही है जो इस वीजा प्रणाली का गलत फायदा उठा रही हैं।


डीओएल सचिव लोरी शावेज-डीरीमर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर कहा, 'हम एच-1बी के दुरुपयोग को रोकने और अमेरिकी नौकरियों की रक्षा करने के लिए हर संभव संसाधन का उपयोग कर रहे हैं।'


फ्लोरिडा के गवर्नर का आदेश

इस बीच, फ्लोरिडा के गवर्नर रॉन डीसैंटिस ने राज्य के विश्वविद्यालयों में एच-1बी वीजा पर कार्यरत कर्मचारियों को हटाने का आदेश दिया है। उन्होंने कहा कि हम विदेशी कर्मचारियों को क्यों ला रहे हैं, जब हमारे अपने लोग ये काम कर सकते हैं? यह सस्ता श्रम का तरीका है।


व्हाइट हाउस ने दोहराया कि राष्ट्रपति ट्रंप की प्राथमिकता अमेरिकी श्रमिकों को पहले अवसर देना है। हालांकि, इस नीति के खिलाफ कई कानूनी चुनौतियां भी सामने आई हैं, जिनमें से एक मुकदमा यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स ने दायर किया है।


सांसदों का ट्रंप को पत्र

इसके अलावा, 31 अक्टूबर को पांच अमेरिकी सांसदों ने ट्रंप को पत्र लिखकर 19 सितंबर के उनके आदेश पर पुनर्विचार करने की अपील की। सांसदों ने कहा कि यह नीति भारत-अमेरिका संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।


गौरतलब है कि 2024 में जारी कुल एच-1बी वीजाओं में से 70 प्रतिशत से अधिक भारतीय मूल के पेशेवरों को मिले हैं।