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त्योहारों के मौसम में सोने की मांग में वृद्धि की उम्मीद

भारत में त्योहारों का मौसम नजदीक है, जिससे सोने की मांग में वृद्धि की उम्मीद है। जीएसटी सुधार के चलते उपभोक्ता खर्च में सुधार और सांस्कृतिक मांग बढ़ने की संभावना है। मिराए एसेट म्यूचुअल फंड की रिपोर्ट के अनुसार, भारत और चीन मिलकर आभूषणों की मांग में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। हालांकि, सोने की कीमतें 3,500-3,600 डॉलर प्रति औंस से ऊपर रहने पर मांग सीमित हो सकती है। जानें इस विषय पर और अधिक जानकारी और बाजार की स्थिति के बारे में।
 

त्योहारों के दौरान सोने की बढ़ती मांग

सोने की मांग में वृद्धि: भारत में त्योहारों का मौसम नजदीक है, और इस दौरान लोगों में उत्साह देखने को मिलता है। इस बार त्योहारी सीजन और सांस्कृतिक मांग के चलते सोने की मांग में वृद्धि की संभावना है। इसका मुख्य कारण जीएसटी में हुए सुधार को माना जा रहा है, जैसा कि मिराए एसेट म्यूचुअल फंड की एक रिपोर्ट में बताया गया है। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि आभूषणों की मांग के संदर्भ में भारत और चीन मिलकर 50 प्रतिशत से अधिक का योगदान देते हैं।


त्योहारों के मौसम में सोने की मांग में वृद्धि


उपभोक्ता खर्च में सुधार और प्रोत्साहन पैकेज के चलते चीन में भी आभूषणों की खरीदारी में तेजी आ सकती है। हालांकि, रिपोर्ट में एक चेतावनी भी दी गई है। मिराए एसेट म्यूचुअल फंड का कहना है कि सोने की कीमत 3,500-3,600 डॉलर प्रति औंस से ऊपर रहने पर मांग सीमित हो सकती है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भविष्य में सोने की कीमतों में वृद्धि के संकेत मिल रहे हैं।


विश्व स्वर्ण परिषद के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोने की कीमतें अगस्त 2025 में बढ़ती रहीं और महीने के अंत में 3,429 डॉलर प्रति औंस पर बंद हुईं, जो 3.9 प्रतिशत की मासिक वृद्धि दर्शाती हैं। इस साल अब तक सोने की कीमतों में 31 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है।


बाजार के आंकड़ों के अनुसार, सोने की कीमतें अब 3,700 डॉलर प्रति औंस के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं। डब्ल्यूजीसी ने बताया कि अगस्त में सोने की कीमतों में यह वृद्धि कमजोर अमेरिकी डॉलर, स्वर्ण-आधारित ईटीएफ में मजबूत निवेश और भू-राजनीतिक तनाव के कारण हुई।


मल्टी-कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ इंडिया (MCX) पर सोने की कीमतें वर्तमान में लगभग 109,000 रुपये प्रति 10 ग्राम हैं, जो वर्ष 2025 की शुरुआत से एक प्रभावशाली उछाल है। भारत का बाजार प्रदर्शन कई अन्य देशों की तुलना में बेहतर रहा है, जो मजबूत निवेश मांग और उच्च मूल्य स्तरों पर स्थिर घरेलू मांग को दर्शाता है।