दिल्ली के लाल किले के पास धमाके की जांच में नए तथ्य सामने आए
दिल्ली में धमाके की जांच के चौंकाने वाले तथ्य
नई दिल्ली: दिल्ली के लाल किले के निकट मेट्रो स्टेशन पर हुए धमाके की जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। फॉरेंसिक जांच से पता चला है कि विस्फोट किसी नए या संशोधित विस्फोटक से किया गया था, जो अमोनियम नाइट्रेट से कहीं अधिक शक्तिशाली है। जांचकर्ताओं ने पीड़ितों के कपड़ों या शवों पर पारंपरिक विस्फोटक के कोई संकेत नहीं पाए हैं।
मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में किए गए पोस्टमॉर्टम से यह भी स्पष्ट हुआ कि अधिकांश मृतकों के कान के पर्दे और फेफड़े फट गए थे। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे घाव तब होते हैं जब धमाका बहुत निकटता से होता है। शवों में पेट और आंतों में गंभीर चोटें भी पाई गईं, जो विस्फोट की तीव्रता को दर्शाती हैं। अधिकतर घाव ऊपरी शरीर, सिर और सीने पर केंद्रित थे, जिससे यह स्पष्ट होता है कि लोग विस्फोट के केंद्र के बेहद करीब थे।
धमाके में लोगों की मौत का कारण
इस घटना में 12 लोगों की जान गई और 20 से अधिक लोग घायल हुए। छह मृतकों की पहचान हो चुकी है और उनके शव परिवारों को सौंप दिए गए हैं। फॉरेंसिक टीम ने बताया कि कई शवों पर क्रॉस-पैटर्न वाली चोटें थीं, जो इस बात का संकेत देती हैं कि धमाके की ताकत से लोग दीवारों या जमीन से टकराए थे, जिससे कई के सिर और हड्डियों में फ्रैक्चर हुए।
जांच में सामने आए तथ्य
फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) की प्रारंभिक जांच में यह पुष्टि हुई है कि मानक विस्फोटकों का उपयोग नहीं किया गया था। हालांकि, अमोनियम नाइट्रेट के साथ एक उच्च गुणवत्ता वाला दूसरा विस्फोटक पदार्थ भी मिला है, जिसकी संरचना की जांच अभी जारी है। मौके से 40 से अधिक नमूने, जिंदा कारतूस और दो गोलियां भी बरामद की गई हैं।
धमाका कब हुआ?
यह धमाका सोमवार शाम 6 बजकर 52 मिनट पर हुआ, ठीक उसी समय जब फरीदाबाद में 2,900 किलो विस्फोटक जब्त किए गए थे। खुफिया सूत्रों का मानना है कि संदिग्ध बमवाज डॉ. उमर मोहम्मद ने अपने साथियों डॉ. मुजम्मिल शकील और डॉ. आदिल रदर की गिरफ्तारी की खबर सुनकर घबराहट में बम को समय से पहले ही उड़ा दिया। प्रारंभिक जांच से यह भी संकेत मिले हैं कि विस्फोटक यंत्र (IED) सही तरीके से असेंबल नहीं हुआ था, जिसके कारण धमाके की मारक क्षमता उतनी नहीं रही, जितनी योजना के अनुसार होनी चाहिए थी।