दिल्ली धमाके के बाद सुरक्षा बलों की सख्त कार्रवाई: उमर नबी का घर बम से उड़ाया गया
नई दिल्ली में सुरक्षा बलों की कार्रवाई
नई दिल्ली. सुरक्षा बलों ने पुलवामा में डॉ. उमर नबी के निवास को देर रात बम से उड़ा दिया। यह कार्रवाई उस मामले से संबंधित थी जिसमें लाल किले के पास एक कार में विस्फोट हुआ था। इस कार में विस्फोटक सामग्री थी और इसे उमर नबी चला रहा था। इस धमाके में 13 लोगों की जान गई और कई अन्य घायल हुए। उमर नबी का डीएनए उसकी मां के नमूनों से मेल खा गया था, जिससे उसकी पहचान पक्की हुई। पुलिस को संदेह था कि उसके घर में कुछ महत्वपूर्ण सबूत छिपे हो सकते हैं, इसलिए यह कठोर कदम उठाया गया।
कट्टरपंथी सोच का उदय
जांच में यह सामने आया कि उमर नबी पिछले दो वर्षों में काफी बदल चुका था। उसकी सोच में एक नया मोड़ आया था और वह कई कट्टरपंथी ऑनलाइन समूहों में सक्रिय हो गया था। वह सोशल मीडिया पर ऐसे लोगों से जुड़ गया था जो गलत दिशा में ले जा रहे थे। जांचकर्ताओं का कहना है कि उसकी गतिविधियों पर नजर रखना कठिन हो गया था। कई बार उसके फोन से संदिग्ध चैट भी मिली थीं, जिससे एजेंसियां पहले से ही सतर्क थीं।
डॉक्टरों की संलिप्तता
इस मामले में केवल उमर नबी ही नहीं, बल्कि कई डॉक्टर भी गिरफ्तार किए गए हैं। कुल आठ लोगों को हिरासत में लिया गया, जिनमें से तीन डॉक्टर हैं। इनमें से एक डॉ. अदील का भाई भी शामिल है। पुलिस ने बताया कि ये लोग एक "व्हाइट कॉलर मॉड्यूल" का हिस्सा थे, जो पेशेवर होते हुए भी चरमपंथी विचारों को बढ़ावा दे रहे थे। इस नेटवर्क का विस्तार कई राज्यों में पाया गया है।
डॉ. मुजफ्फर की भूमिका
जांच में एक और महत्वपूर्ण नाम सामने आया है—डॉ. मुजफ्फर। पुलिस ने इंटरपोल से उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने की मांग की है। वह भी उसी टीम का हिस्सा था जिसने 2021 में तुर्की का दौरा किया था। उसके साथ उमर और मुजम्मिल भी थे। जांच में पता चला कि वह अगस्त में भारत से दुबई चला गया था और अब माना जा रहा है कि वह अफगानिस्तान में छिपा हुआ है। पुलिस उसके सभी संपर्कों की जांच कर रही है।
केंद्र सरकार की सक्रियता
दिल्ली धमाके के बाद, सरकार ने अल फलाह यूनिवर्सिटी पर कड़ा एक्शन लिया है। विश्वविद्यालय के सभी रिकॉर्ड का फोरेंसिक ऑडिट किया जा रहा है। ईडी और अन्य एजेंसियों को धन की जांच का आदेश दिया गया है। यह कदम गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक के बाद उठाया गया। सरकार पूरी सच्चाई को उजागर करना चाहती है। यह मामला अब केवल एक धमाके का नहीं रह गया है, बल्कि यह सुरक्षा से जुड़ा एक बड़ा मुद्दा बन चुका है।
यूनिवर्सिटी की सदस्यता निलंबन
भारतीय विश्वविद्यालय संघ (AIU) ने अल फलाह यूनिवर्सिटी की सदस्यता निलंबित कर दी है। संगठन ने कहा कि कोई भी संस्था तभी सदस्य रह सकती है जब वह नियमों का पालन करे। जांच में कई गड़बड़ियां सामने आई हैं, जिसके कारण संस्था को निलंबित किया गया। यह निर्णय धमाके और नेटवर्क के खुलासों के बाद लिया गया। सरकार चाहती है कि इस नेटवर्क में शामिल हर व्यक्ति और संस्था की भूमिका स्पष्ट हो।
जांच की दिशा
सुरक्षा एजेंसियां अब सभी गिरफ्तार व्यक्तियों की गतिविधियों को जोड़ने का प्रयास कर रही हैं। चुनौती यह है कि कई आरोपी विभिन्न राज्यों से जुड़े हुए हैं, इसलिए जांच कई स्थानों पर चल रही है। प्रारंभिक जांच से स्पष्ट हो गया है कि यह केवल एक धमाका नहीं था, बल्कि यह एक बड़ा नेटवर्क था जो देश में अस्थिरता फैलाने की कोशिश कर रहा था। पुलिस और केंद्रीय एजेंसियां दावा कर रही हैं कि आने वाले दिनों में और बड़े खुलासे होंगे।