दिल्ली में विस्फोट: गृह मंत्रालय की बैठक में आतंकवाद पर चर्चा से बचाव
दिल्ली में विस्फोट की गंभीरता
दिल्ली के लाल किले के पास सोमवार, 10 नवंबर को एक भयंकर विस्फोट हुआ, जिसमें 12 लोगों की जान चली गई और 20 से अधिक लोग घायल हुए हैं। इस घटना से पहले, श्रीनगर से लेकर दिल्ली के फरीदाबाद और लखनऊ से हैदराबाद तक एक व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल का खुलासा हुआ था। इस मामले में आधा दर्जन से अधिक एमबीबीएस डॉक्टरों को गिरफ्तार किया गया है। फरीदाबाद से लगभग तीन टन विस्फोटक सामग्री भी बरामद की गई।
हालांकि, इस बीच गृह मंत्रालय से संबंधित संसदीय समिति की बैठक हुई, जिसमें न तो आतंकवाद पर चर्चा हुई और न ही दिल्ली में हुए विस्फोट का जिक्र किया गया। विपक्षी सांसदों की मांग के बावजूद, इन मुद्दों पर कोई चर्चा नहीं की गई।
संसदीय समिति की बैठक में विवाद
बुधवार को गृह मामलों की संसद की स्थायी समिति की बैठक हुई, जिसकी अध्यक्षता भाजपा के सांसद राधामोहन दास अग्रवाल कर रहे थे। बैठक के दौरान, विपक्षी सांसदों ने दिल्ली में हुए विस्फोट का मुद्दा उठाया और इस पर चर्चा की आवश्यकता जताई। लेकिन समिति में शामिल भाजपा और सहयोगी पार्टियों के सांसदों ने इसका विरोध किया। उनका तर्क था कि समिति की बैठक का एजेंडा पहले से निर्धारित होता है और सांसद उसी के अनुसार तैयारी करके आते हैं।
इसलिए, उन्होंने कहा कि पहले से तय एजेंडे पर ही चर्चा होनी चाहिए। समिति के अध्यक्ष ने सत्तापक्ष के सांसदों की बात मान ली और आतंकवाद या विस्फोट पर चर्चा नहीं कराई। हालांकि, उन्होंने यह आश्वासन दिया कि बाद में दिल्ली के विस्फोट और उससे संबंधित अन्य मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। विपक्ष के एक सांसद ने कहा कि दिल्ली में विस्फोट पर थोड़ी चर्चा हो सकती थी, इसके लिए किसी विशेष तैयारी की आवश्यकता नहीं थी।