पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बढ़ता तनाव: क्या युद्ध की तैयारी है?
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बढ़ता तनाव
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव में लगातार वृद्धि हो रही है। हाल ही में, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने स्पष्ट रूप से कहा कि उनका देश अफगानिस्तान के साथ युद्ध के लिए तैयार है। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान भारत और अफगानिस्तान, दोनों से एक साथ निपटने की क्षमता रखता है। आसिफ ने टीटीपी के पाकिस्तान पर लगातार हमलों को 'रेड लाइन' बताया। उनका कहना है कि यदि तालिबान ने टीटीपी को नहीं रोका, तो स्थिति खुली लड़ाई में बदल सकती है। यह बयान क्षेत्र में चिंता का विषय बन गया है।
क्या पाकिस्तान टीटीपी पर फतवा चाहता है?
ख्वाजा आसिफ ने एक महत्वपूर्ण दावा किया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने तालिबान के प्रमुख मुल्ला हिबतुल्लाह से एक लिखित फतवा मांगा है, जिसमें यह स्पष्ट किया जाए कि पाकिस्तान में जिहाद नहीं होगा और टीटीपी को हमले बंद करने के लिए कहा जाए। आसिफ का कहना है कि तालिबान टीटीपी के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं करेगा, और केवल निंदा करना ही उनके लिए पर्याप्त होगा। पाकिस्तान का मानना है कि टीटीपी अफगानिस्तान में स्वतंत्र रूप से घूम रही है, जिससे वह लगातार दबाव बना रहा है।
क्या तालिबान वाकई टीटीपी को पनाह दे रहा है?
पाकिस्तान का आरोप है कि टीटीपी की पूरी लीडरशिप अफगानिस्तान में स्थित है, जिसमें नूर वली महसूद जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं। पाकिस्तान का कहना है कि तालिबान इन सभी का समर्थन कर रहा है। हाल के दिनों में टीटीपी के हमलों में कई लोग मारे गए हैं, जिनमें से 55% अफगान नागरिक थे। आसिफ ने कहा कि तालिबान को इस मुद्दे को रोकना चाहिए था, लेकिन स्थिति और बिगड़ती जा रही है।
क्या अफगानिस्तान ने भी पाकिस्तान को चेतावनी दे दी?
तालिबान ने पाकिस्तान की धमकी का कड़ा जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि यदि पाकिस्तान ने फिर से अफगानिस्तान पर हमला किया, तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। तालिबान का कहना है कि वे हर स्थिति का सामना करने के लिए तैयार हैं। तालिबान नेता मुल्ला बरादर ने कहा कि यदि पाकिस्तान व्यापार मार्ग खोलना चाहता है, तो उसे यह सुनिश्चित करना होगा कि वह इसे फिर कभी बंद नहीं करेगा।
क्या पाकिस्तान और तालिबान के बीच भरोसा खत्म हो चुका है?
पाकिस्तान कभी तालिबान का सबसे बड़ा समर्थक माना जाता था, लेकिन अब दोनों के बीच संबंधों में गहरी दरार आ चुकी है। पाकिस्तान का कहना है कि तालिबान उसकी बात नहीं मान रहा है, जबकि तालिबान का आरोप है कि पाकिस्तान अपनी समस्याओं का ठीकरा अफगानिस्तान पर फोड़ रहा है। यह अविश्वास दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा रहा है।
क्या फतवे की मांग से हालात और बिगड़ेंगे?
पाकिस्तान द्वारा फतवे की मांग ने तनाव को और बढ़ा दिया है। अफगान तालिबान इसे अपनी धार्मिक सत्ता पर हमला मान सकता है। पाकिस्तान का तर्क है कि केवल फतवा ही टीटीपी को रोक सकता है, लेकिन तालिबान ने कोई नरमी नहीं दिखाई है। यदि यह मुद्दा जल्द हल नहीं हुआ, तो सीमा पर बड़ा संघर्ष हो सकता है।
क्या दोनों देशों में युद्ध के आसार बढ़ रहे हैं?
दोनों देशों के हालिया बयानों से स्पष्ट है कि स्थिति खतरनाक दिशा में जा रही है। पाकिस्तान टीटीपी को एक सीधा खतरा मान रहा है, जबकि तालिबान का कहना है कि पाकिस्तान को अपनी सीमा में सुधार करना चाहिए। यदि हालात नहीं सुधरे, तो यह विवाद युद्ध का रूप ले सकता है।