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पाकिस्तान में आटे का संकट: पंजाब के गेहूं प्रतिबंध से बढ़ी कीमतें

पाकिस्तान में पंजाब प्रांत द्वारा गेहूं की आवाजाही पर अनौपचारिक प्रतिबंध ने देशभर में आटे का संकट उत्पन्न कर दिया है। इस कदम से आटे की कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं, खासकर खैबर पख्तूनख्वा और सिंध जैसे प्रांतों में। पंजाब सरकार ने इसे निगरानी के लिए उठाया गया कदम बताया है, लेकिन अन्य प्रांतों ने इसे संविधान का उल्लंघन करार दिया है। इस स्थिति ने गरीबों के लिए दो वक्त की रोटी भी मुश्किल बना दी है और खाद्य सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है।
 

पाकिस्तान में आटे की गंभीर स्थिति

पाकिस्तान में आटे का संकट: पंजाब प्रांत द्वारा गेहूं की आवाजाही पर अनौपचारिक प्रतिबंध लगाने के कारण पाकिस्तान में आटे की स्थिति गंभीर हो गई है। पंजाब, जो देश का सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक क्षेत्र है, ने इस निर्णय से आटे की भारी कमी उत्पन्न कर दी है, जिससे अन्य प्रांतों में आटे की कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं। यह कदम इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है कि पंजाब में 80 प्रतिशत गेहूं का उत्पादन होता है, और जब वहां की आपूर्ति बाधित होती है, तो इसका प्रभाव अन्य क्षेत्रों पर भी पड़ता है।


पंजाब सरकार का स्पष्टीकरण
पंजाब सरकार ने इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा है कि उन्होंने गेहूं की आवाजाही पर कोई औपचारिक प्रतिबंध नहीं लगाया है। हालांकि, उन्होंने असामान्य गेहूं आपूर्ति की निगरानी के लिए जांच चौकियां स्थापित की हैं। सरकार का कहना है कि ये कदम केवल निगरानी के लिए हैं और बाजार में गेहूं की आपूर्ति को नियंत्रित करने के उद्देश्य से उठाए गए हैं। लेकिन पाकिस्तान के अन्य प्रांतों ने इस कदम की आलोचना की है और इसे संविधान का उल्लंघन बताया है।


अन्य प्रांतों की प्रतिक्रिया
खैबर पख्तूनख्वा और सिंध जैसे प्रांतों ने इस अनौपचारिक प्रतिबंध की कड़ी निंदा की है। इन प्रांतों को पंजाब से गेहूं की आपूर्ति पर निर्भरता है, और इस आपूर्ति में रुकावट से उनके यहां आटे की कीमतों में भारी वृद्धि हो गई है। खैबर पख्तूनख्वा में 20 किलो आटे की बोरी की कीमत 2,800 पाकिस्तानी रुपये तक पहुंच गई है, जबकि पंजाब में यही बोरी लगभग 1,800 रुपये की मिल रही थी।


गवर्नर का बयान
खैबर पख्तूनख्वा के गवर्नर फैसल करीम कुंदी ने इसे संविधान के अनुच्छेद 151 का उल्लंघन और राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा बताया। इसके अलावा, खैबर पख्तूनख्वा विधानसभा ने भी इस प्रतिबंध का विरोध करते हुए एक सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित किया, जिसमें आटे की कीमतों में 68 प्रतिशत की बढ़ोतरी का आरोप लगाया गया।


व्यापार और वाणिज्य पर प्रभाव
पाकिस्तान के अन्य प्रांतों के अनुसार, यह कदम देश में व्यापार और वाणिज्य की स्वतंत्रता को नुकसान पहुंचा रहा है। ऑल-पाकिस्तान फ्लोर मिल्स एसोसिएशन (पीएफएमए) ने इसे असंवैधानिक बताया है, और इस पर विशेष ध्यान दिया है कि यह नीति पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 151 का उल्लंघन करती है, जो देशभर में मुक्त व्यापार की गारंटी देता है।


गरीबों की स्थिति
यह स्थिति ऐसे समय में उत्पन्न हुई है, जब पाकिस्तान में आर्थिक संकट और महंगाई पहले से ही चरम पर है। गरीबों की हालत इतनी गंभीर हो गई है कि उनके लिए दो वक्त की रोटी भी मुश्किल हो गई है। यह कदम देशभर के लोगों के लिए नई समस्याएं पैदा कर रहा है, और इससे सामाजिक असंतोष भी बढ़ने की संभावना है।


खाद्य सुरक्षा पर खतरा
पंजाब का यह कदम न केवल गेहूं की आपूर्ति को प्रभावित कर रहा है, बल्कि पूरे पाकिस्तान की खाद्य सुरक्षा के लिए भी खतरे का कारण बन गया है। इन परिस्थितियों में, पाकिस्तान के विभिन्न प्रांतों के बीच बढ़ती तनातनी और आटे की बढ़ती कीमतें देश के आंतरिक राजनीतिक और आर्थिक स्थिरता को और भी मुश्किल बना सकती हैं।