भारत में खुदरा महंगाई दर में अक्टूबर में आई बड़ी गिरावट
महंगाई दर में कमी का प्रमुख कारण
भारत में अक्टूबर महीने में खुदरा महंगाई दर में उल्लेखनीय कमी आई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, यह दर 0.25% पर पहुंच गई है, जो अब तक की सबसे कम दर है। सितंबर में यह दर 1.44% थी।
खाद्य वस्तुओं की कीमतों में गिरावट
इस गिरावट का मुख्य कारण खाद्य वस्तुओं की कीमतों में आई नरमी है। आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि यह रुझान भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को अपनी आगामी मौद्रिक नीति बैठक में ब्याज दरों में कटौती करने की संभावना को बढ़ा सकता है।
अक्टूबर में खाद्य मूल्य सूचकांक -5.02% पर पहुंच गया, जबकि सितंबर में यह -2.3% था। अनाज, दालों और सब्जियों की कीमतों में लगातार नौवें महीने गिरावट देखी गई। हालांकि, खाद्य तेलों में महंगाई बढ़ी, विशेषकर नारियल तेल की कीमतों में लगभग 93% की वृद्धि हुई।
कोर महंगाई और कीमती धातुओं की कीमतें
कोर महंगाई, जिसमें खाद्य, ईंधन और वाहन डीजल-पेट्रोल शामिल नहीं हैं, अक्टूबर में 4.4% पर स्थिर रही। दूसरी ओर, सोने और चांदी की कीमतों में 31 महीने की ऊंचाई दर्ज की गई। त्योहारी सीजन में सोने की बढ़ती कीमतों ने महंगाई को थोड़ा बढ़ाया।
RBI का नया मुद्रास्फीति अनुमान
महंगाई में इस गिरावट के बाद, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान 3.1% से घटाकर 2.6% कर दिया है। RBI का कहना है कि वैश्विक कमोडिटी कीमतों में नरमी और घरेलू आपूर्ति की स्थिति में सुधार ने मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मदद की है।
त्योहारी मांग और GST का प्रभाव
कोटक महिंद्रा बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री उपासना भारद्वाज का कहना है कि भले ही महंगाई का रुझान नरम दिख रहा है, लेकिन आरबीआई को त्योहारी मांग और GST प्रभाव को ध्यान में रखकर मौद्रिक नीति तय करनी होगी।
अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत
अक्टूबर के आंकड़े दर्शाते हैं कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में औसत मुद्रास्फीति दर 2.22% रही है, जो आरबीआई के मध्यम अवधि के लक्ष्य 4% से काफी नीचे है। यह गिरावट अर्थव्यवस्था की मजबूती को दर्शाती है, जिससे उपभोक्ताओं को राहत मिल सकती है और निवेशकों का विश्वास बढ़ सकता है।