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भारत में मलेरिया के खिलाफ पहली स्वदेशी वैक्सीन का विकास

भारतीय वैज्ञानिकों ने मलेरिया के खिलाफ एक नई स्वदेशी वैक्सीन का विकास किया है, जिसे 'एडफाल्सीवैक्स' नाम दिया गया है। यह वैक्सीन संक्रमण को रोकने में सक्षम है और इसके उत्पादन के लिए ICMR ने निजी कंपनियों के साथ समझौते की प्रक्रिया शुरू कर दी है। वर्तमान में मलेरिया के लिए उपलब्ध टीकों की तुलना में यह वैक्सीन अधिक प्रभावी साबित हो सकती है। जानें इस नई वैक्सीन के बारे में और इसके विकास की प्रक्रिया के बारे में।
 

नई वैक्सीन का विकास

नई दिल्ली - भारत में डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों के खिलाफ एक नई उम्मीद जगी है। भारतीय वैज्ञानिकों ने मलेरिया के खिलाफ एक स्वदेशी वैक्सीन का निर्माण किया है।


यह वैक्सीन न केवल मलेरिया के संक्रमण को रोकने में सक्षम है, बल्कि इसके फैलने की प्रक्रिया को भी नियंत्रित कर सकती है। नई दिल्ली में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने इस वैक्सीन के उत्पादन के लिए निजी कंपनियों के साथ समझौते की प्रक्रिया शुरू कर दी है। ICMR ने यह जानकारी साझा की है कि मलेरिया वैक्सीन का विकास सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है, और इसे 'एडफाल्सीवैक्स' नाम दिया गया है।


यह स्वदेशी वैक्सीन ICMR और भुवनेश्वर स्थित क्षेत्रीय चिकित्सा अनुसंधान केंद्र के शोधकर्ताओं द्वारा संयुक्त रूप से विकसित की गई है। ICMR के निदेशक जनरल, डॉ. राजीव बहल ने बताया कि वर्तमान में मलेरिया के लिए दो टीके उपलब्ध हैं, जिनकी कीमत लगभग 800 रुपये प्रति खुराक है, लेकिन उनकी प्रभावशीलता 33-67 प्रतिशत के बीच है। नए स्वदेशी टीके का प्री-क्लिनिकल वैलिडेशन पूरा हो चुका है, जिसे ICMR के नई दिल्ली स्थित नेशनल मलेरिया रिसर्च इंस्टीट्यूट और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी के सहयोग से विकसित किया गया है।