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भारतीय सिनेमा की दिग्गज अभिनेत्री कामिनी कौशल का निधन

भारतीय सिनेमा की मशहूर अभिनेत्री कामिनी कौशल का निधन 98 वर्ष की आयु में हुआ। उन्होंने अपने करियर में कई यादगार फिल्मों में काम किया और भारतीय सिनेमा को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई। उनके निधन से फिल्म उद्योग में शोक की लहर है। जानें उनके जीवन और करियर के बारे में।
 

कामिनी कौशल का निधन

मुंबई: भारतीय फिल्म उद्योग की मशहूर अभिनेत्री कामिनी कौशल का निधन हो गया है। उन्होंने 98 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। उनके परिवार के एक करीबी मित्र ने इस दुखद समाचार की पुष्टि की। अपने लंबे और समृद्ध करियर में, कामिनी ने अपनी सादगी, प्रतिभा और उत्कृष्ट अभिनय से दर्शकों के दिलों में एक विशेष स्थान बनाया।


जीवन और करियर

कामिनी कौशल का जन्म 24 फरवरी 1927 को लाहौर में हुआ था। उन्होंने अंग्रेजी साहित्य में अपनी डिग्री प्राप्त की और कला तथा रचनात्मकता में गहरी रुचि रखी। उन्हें घुड़सवारी, पेंटिंग और भरतनाट्यम में भी महारत हासिल थी।


कामिनी ने 1946 में ब्लैक एंड व्हाइट फिल्मों से अपने करियर की शुरुआत की। उनकी पहली फिल्म 'नीचा नगर' थी, जो सामाजिक असमानता और गरीब-अमीर के संघर्ष पर आधारित थी। इस फिल्म ने कान्स फिल्म फेस्टिवल में पुरस्कार जीता और यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान पाने वाली पहली भारतीय फिल्म बनी।


यादगार फिल्में

कामिनी कौशल ने इस फिल्म में अपनी अभिनय क्षमता को साबित किया और भारतीय सिनेमा को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाई। इसके बाद उन्होंने कई यादगार फिल्मों में काम किया, जिनमें 'शहीद', 'नदिया के पार', 'शबनम', 'आरजू', 'बिराज बहू', 'दो भाई', 'जिद्दी', 'पारस', 'नमूना', 'आबरू', 'बड़े सरकार', 'जेलर', और 'नाइट क्लब' शामिल हैं।


अंतिम भूमिकाएँ

कामिनी कौशल ने अपने करियर में दिलीप कुमार और राज कपूर जैसे दिग्गज सितारों के साथ काम किया। उन्होंने 2019 में शाहिद कपूर और कियारा आडवाणी की फिल्म 'कबीर सिंह' में शाहिद की दादी का किरदार निभाया। इसके बाद, 2022 में आमिर खान और करीना कपूर की फिल्म 'लाल सिंह चड्ढा' में उनका किरदार दर्शकों के दिलों को छू गया।


निजी जीवन और विरासत

कामिनी कौशल का निजी जीवन भी हमेशा चर्चा में रहा। उन्हें दिलीप कुमार के साथ उनके शुरुआती दिनों का रोमांस याद किया जाता है, लेकिन पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण यह रिश्ता आगे नहीं बढ़ सका।


कामिनी कौशल के निधन से बॉलीवुड और भारतीय सिनेमा के प्रेमियों में गहरा शोक है। उनका जाना न केवल एक अद्भुत कलाकार की कमी है, बल्कि उस युग का भी अंत है जिसने भारतीय फिल्मों को अपनी अनूठी शैली, सादगी और कला के माध्यम से परिभाषित किया।