श्रीनगर में आतंकवादी साजिश का पर्दाफाश: डॉक्टरों का नेटवर्क शामिल
नई दिल्ली में आतंकवादी गतिविधियों का खुलासा
नई दिल्ली. 19 अक्टूबर को श्रीनगर के नौगाम क्षेत्र में अचानक जैश-ए-मोहम्मद के पोस्टर दिखाई दिए। शुरुआत में पुलिस ने इसे एक मजाक समझकर हटा दिया, लेकिन एसएसपी संदीप चक्रवर्ती ने इसे गंभीरता से लिया और जांच का आदेश दिया। इस प्रकार, एक साधारण पोस्टर ने एक बड़े आतंकवादी साजिश का सुराग दे दिया। पुलिस को अब यह समझ में आया कि यह केवल एक मजाक नहीं था, बल्कि एक योजना का प्रारंभिक हिस्सा था। हर पल नई जानकारी सामने आने लगी।
किसने फंसाया इन युवकों को?
सीसीटीवी फुटेज की जांच के बाद तीन युवकों को गिरफ्तार किया गया। ये सामान्य युवा थे, जिनका आतंकवाद या कट्टरपंथ से कोई संबंध नहीं था। पूछताछ में पता चला कि इन्हें पोस्टर लगाने के लिए किसी मौलवी ने उकसाया था। पुलिस ने मौलवी इरफान अहमद तक पहुंच बनाई, और फिर एक और नाम, जमीर अहमद अहंगर, सामने आया, जिसका भी कोई आपराधिक इतिहास नहीं था। लेकिन असली पहेली अभी बाकी थी, क्योंकि एक और दाढ़ी वाले व्यक्ति की तलाश जारी थी, जिसे सभी मौलवी कह रहे थे।
डॉक्टरों का खतरनाक नेटवर्क
जांच के दौरान यह खुलासा हुआ कि इस साजिश में डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों का एक बड़ा नेटवर्क शामिल था। सहारनपुर से डॉ. आदिल को गिरफ्तार किया गया, जिसके लॉकर से एके-47 बरामद हुआ। इसके बाद फरीदाबाद में अल फलाह यूनिवर्सिटी के डॉ. मुजम्मिल की ओर जांच बढ़ी, जहां से हजारों किलो अमोनियम नाइट्रेट मिला। यह मात्रा किसी बड़े विस्फोट के लिए पर्याप्त थी। यह स्पष्ट हो गया कि यह कोई साधारण गैंग नहीं, बल्कि एक संगठित नेटवर्क था जो कई राज्यों में फैला हुआ था।
लाल किला क्यों बना निशाना?
10 नवंबर को दिल्ली में लाल किले के सामने एक आई-20 कार में धमाका हुआ, जिसमें 12 लोगों की जान गई। यह घटना पूरे देश को झकझोर देने वाली थी। बाद में पता चला कि यह कार पुलवामा के एक युवक के नाम पर खरीदी गई थी। हमलावर डॉ. उमर उसी नेटवर्क का हिस्सा था। पुलिस ने कई राज्यों में छापेमारी कर कई संदिग्धों को गिरफ्तार किया। यह धमाका केवल एक घटना नहीं, बल्कि साजिश का असली चेहरा था।
यूपी का कनेक्शन
फरीदाबाद और सहारनपुर से गिरफ्तारी के बाद यूपी कनेक्शन मजबूत हुआ। डॉ. शाहीन को महिला विंग की सक्रिय सदस्य माना गया, जिसकी कार से हथियार मिले। उसके भाई, दोस्त और कई साथियों से पूछताछ की गई। शाहीन का नेटवर्क पूरे उत्तर भारत में फैला हुआ था। पुलिस ने उसके मोबाइल रिकॉर्ड, यात्रा और संपर्कों की जांच कर कई नई कड़ियां जोड़ दीं।
क्या यह नेटवर्क अंतरराष्ट्रीय है?
जांच से पता चला कि इस गिरोह का संबंध खाड़ी देशों, पाकिस्तान, तुर्की और अफगानिस्तान तक फैला हुआ है। डॉ. मुजफ्फर अहमद राथर की तलाश अब भी जारी है, जो विदेशों में सक्रिय था। माना जा रहा है कि उसने कई डॉक्टरों को उकसाया और उनकी मदद से एक खतरनाक जाल खड़ा किया। विभिन्न देशों की एजेंसियों से भी संपर्क किया गया है। नेटवर्क जितना बड़ा है, खतरा उतना ही गहरा है।
देश में आगे क्या होगा?
दिल्ली, यूपी, हरियाणा और कश्मीर की पुलिस अब भी संयुक्त जांच कर रही है। सैकड़ों लोगों से पूछताछ की जा चुकी है और कई नाम सामने आ रहे हैं। सरकार अल फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े हर व्यक्ति की जांच कर रही है। यह स्पष्ट है कि यह केवल एक आतंकवादी हमला नहीं, बल्कि पूरे देश को अस्थिर करने की कोशिश थी। पुलिस का कहना है कि अभी कई कड़ियां जुड़नी बाकी हैं। देश अलर्ट मोड पर है।