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सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: अनाथ बच्चों को मिलेगी मुफ्त शिक्षा

भारत के सुप्रीम कोर्ट ने अनाथ बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा सुनिश्चित करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। इस फैसले के तहत राज्य सरकारों को प्राइवेट स्कूलों में 25% आरक्षण के तहत शिक्षा प्रदान करने के लिए अधिसूचनाएं जारी करने का निर्देश दिया गया है। न्यायालय ने अनाथ बच्चों की पहचान और उनकी शिक्षा तक पहुंच को बेहतर बनाने के लिए सर्वेक्षण करने का भी आदेश दिया है। जानें इस महत्वपूर्ण फैसले के पीछे की कहानी और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
 

सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय

सुप्रीम कोर्ट: भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में राज्य सरकारों को अनाथ बच्चों, कमजोर वर्गों और वंचित समूहों के बच्चों की शिक्षा के लिए निर्देशित किया है। इस निर्णय में इन बच्चों के लिए प्राइवेट स्कूलों में 25% आरक्षण के तहत मुफ्त शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए अधिसूचनाएं जारी करने का आदेश दिया गया है। यह निर्णय समाज के सबसे कमजोर वर्गों के लिए शिक्षा के अधिकार को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।


अनाथ बच्चों को मुफ्त शिक्षा का अधिकार

न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने पॉलोमी पाविनी शुक्ला बनाम भारत संघ मामले की सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि दिल्ली, मेघालय, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों ने पहले ही शिक्षा के अधिकार (आरटीई) अधिनियम की धारा 12(1)(सी) के तहत अनाथ बच्चों को शामिल करने के लिए अधिसूचनाएं जारी कर दी हैं।


न्यायालय ने अन्य राज्यों को चार हफ्ते के भीतर ऐसी अधिसूचनाएं जारी करने का आदेश दिया है। पीठ ने कहा, 'यह सुनिश्चित करना राज्य सरकारों का दायित्व है कि अनाथ बच्चों को शिक्षा का बुनियादी अधिकार प्राप्त हो।'


अनाथ बच्चों के आंकड़ों की कमी पर चिंता

सुप्रीम कोर्ट ने भारत में अनाथ बच्चों के आधिकारिक आंकड़ों की कमी पर गहरी चिंता व्यक्त की। मामले में याचिकाकर्ता पॉलोमी पाविनी शुक्ला ने तर्क किया, 'भारत सरकार देश में अनाथ बच्चों की गणना नहीं करती है। सरकार के पास एकमात्र विश्वसनीय डेटा गैर-सरकारी संगठनों और यूनिसेफ जैसे स्वतंत्र संगठनों से आता है, जिनका अनुमान है कि भारत में 29.6 मिलियन (2.96 करोड़) अनाथ बच्चे हैं।'


यह निर्णय न केवल अनाथ बच्चों के लिए शिक्षा के द्वार खोलेगा, बल्कि समाज के सबसे कमजोर वर्गों के उत्थान में भी योगदान देगा। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया है कि अधिसूचनाएं जारी होने के बाद इसकी जानकारी न्यायालय को दी जाए।