सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: छोटा राजन की जमानत रद्द, पराली जलाने पर किसानों के खिलाफ सख्ती
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
सुप्रीम कोर्ट का ताजा निर्णय: मुंबई में जया शेट्टी के हत्या मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे गैंगस्टर छोटा राजन की जमानत को रद्द कर दिया गया है। इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने उसकी सजा पर रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता शामिल थे, ने कहा कि छोटा राजन चार अन्य मामलों में भी दोषी ठहराया जा चुका है और वह 27 साल तक फरार रहा। कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे व्यक्ति की सजा को कैसे निलंबित किया जा सकता है। इसके साथ ही, आरोपी को तुरंत सरेंडर करने का आदेश दिया गया है।
जया शेट्टी हत्या मामले में उम्रकैद
गैंगस्टर छोटा राजन को 2001 में जया शेट्टी हत्या मामले में दोषी ठहराया गया था। विशेष अदालत ने उसे उम्रकैद की सजा सुनाई थी, लेकिन बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी। सीबीआई ने इस रोक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। छोटा राजन के वकील का कहना है कि उसके खिलाफ अधिकांश मामलों में कोई ठोस सबूत नहीं है। 71 में से 47 मामलों में कोई सबूत नहीं मिला है। छोटा राजन को 2015 में इंडोनेशिया से गिरफ्तार किया गया था, और सीबीआई कोर्ट ने उसे उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
किसानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता
एक अन्य मामले में, सीजेआई गवई ने पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि "किसान देश के लिए महत्वपूर्ण हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें पराली जलाने की अनुमति दी जाए।" सीजेआई ने पंजाब सरकार के वकील से पूछा कि वे पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि इस समस्या को हल करने के लिए कड़ी कार्रवाई, जिसमें गिरफ्तारी भी शामिल हो सकती है, पर विचार किया जाना चाहिए।
CJI का पंजाब राज्य के वकील से संवाद
सीजेआई ने पंजाब राज्य के वकील से कहा, "आप दंडात्मक प्रावधानों पर विचार क्यों नहीं करते? अगर कुछ लोग जेल जाएंगे, तो सही संदेश जाएगा। किसानों के लिए दंडात्मक प्रावधान क्यों नहीं बनाते? अगर पर्यावरण की रक्षा का सच में इरादा है, तो पीछे क्यों हट रहे हैं?" उन्होंने यह भी कहा कि फसल कटाई के बाद बची पराली का उपयोग बायोफ्यूल बनाने में किया जा सकता है। यह मुद्दा केवल पांच साल का नहीं हो सकता। किसानों का योगदान महत्वपूर्ण है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम पर्यावरण की रक्षा न करें।