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सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका को किया खारिज, नकदी बरामदगी पर उठे सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने अपनी खिलाफ की गई आंतरिक जांच रिपोर्ट को चुनौती दी थी। इस रिपोर्ट में उनके आवास पर बड़ी मात्रा में नकदी मिलने के बाद उन्हें पद से हटाने की सिफारिश की गई थी। अदालत ने कहा कि इस मामले में हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। जस्टिस वर्मा ने रिपोर्ट को पक्षपातपूर्ण बताया था। जानें इस मामले में आगे क्या हो सकता है और न्यायपालिका की गरिमा बनाए रखने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं।
 

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

गुरुवार को, सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा द्वारा दायर याचिका को अस्वीकार कर दिया। इस याचिका में उन्होंने अपनी खिलाफ की गई आंतरिक जांच रिपोर्ट को चुनौती दी थी, जिसमें उनके निवास पर बड़ी मात्रा में नकदी मिलने के बाद उन्हें पद से हटाने की सिफारिश की गई थी। अदालत ने स्पष्ट किया कि इस मामले में हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं है।


नकदी की बरामदगी से जुड़े विवाद

इस वर्ष की शुरुआत में जस्टिस वर्मा के घर पर छापेमारी के दौरान बड़ी मात्रा में नकद राशि मिली थी। इस घटना ने न्यायिक प्रणाली की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए थे। इसके बाद एक आंतरिक जांच समिति का गठन किया गया, जिसने उन्हें हटाने की सिफारिश की।


याचिका में उठाए गए मुद्दे

जस्टिस वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर जांच रिपोर्ट को पक्षपातपूर्ण बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें गलत तरीके से निशाना बनाया गया और रिपोर्ट को बिना उनका पक्ष सुने अंतिम रूप दिया गया, जो न्याय के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन है।


कोर्ट का निर्णय

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने सभी दलीलों पर विचार करने के बाद कहा कि याचिका में कोई ठोस आधार नहीं है जिससे जांच प्रक्रिया या रिपोर्ट पर सवाल उठाया जा सके। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि आंतरिक जांच न्यायिक प्रशासन का हिस्सा है और इसमें हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है जब तक कि कोई स्पष्ट कानूनी गलती न हो।


न्यायपालिका की गरिमा

अदालत ने अपने निर्णय में कहा कि न्यायिक पदों पर बैठे व्यक्तियों का आचरण उच्चतम स्तर का होना चाहिए। जब न्यायपालिका की निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं, तो उसकी विश्वसनीयता प्रभावित होती है। इसलिए, आंतरिक जांच जैसे कदम आवश्यक हैं ताकि जनता का विश्वास बना रहे।


भविष्य की कानूनी कार्रवाई

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया है, लेकिन जस्टिस वर्मा के खिलाफ की गई सिफारिशों के आधार पर आगे की कानूनी प्रक्रिया या अनुशासनात्मक कार्रवाई संभव है। इस पर संबंधित न्यायिक संस्थाएं निर्णय लेंगी।