हरियाणा में टीबी परीक्षण संकट: एक कर्मचारी की कमी से प्रभावित स्वास्थ्य सेवाएं
हरियाणा में टीबी परीक्षण की स्थिति गंभीर
हरियाणा में टीबी परीक्षण संकट: एक कर्मचारी की कमी से प्रभावित स्वास्थ्य सेवाएं: हरियाणा में टीबी परीक्षण की स्थिति ने स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। करनाल में स्थित राज्य स्तरीय लैब, जो 15 जिलों से दवा-प्रतिरोधी तपेदिक के नमूने प्राप्त करती है, पिछले चार दिनों से पूरी तरह से बंद है।
यह जानकर हैरानी होती है कि इसका कारण तकनीकी समस्या या बजट की कमी नहीं, बल्कि एकमात्र सफाईकर्मी की अनुपस्थिति है। इससे हजारों मरीजों की जांच रुकी हुई है और उन्हें समय पर उपचार नहीं मिल पा रहा है।
करनाल लैब बंद, नमूनों की गुणवत्ता पर खतरा
करनाल के सेक्टर-16 में स्थित इंटरमीडिएट रेफरेंस लैब प्रतिदिन 90 से 100 टीबी सैंपल की जांच करती थी। यह लैब 15 जिलों से आए दवा-प्रतिरोधी तपेदिक के मामलों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। लेकिन अब थूक के नमूने अनदेखी की स्थिति में पड़े हैं।
इससे न केवल जांच में देरी हो रही है, बल्कि नमूनों की गुणवत्ता और बीमारी की पहचान में भी बाधा आ रही है। सरकार ने 2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य रखा है, लेकिन ऐसी लापरवाही उस दिशा में बड़ा झटका है।
एक सफाईकर्मी की कमी बनी कारण, प्रशासन मौन
लैब के संचालन में रुकावट का मुख्य कारण यह है कि एकमात्र सफाईकर्मी को सिविल सर्जन कार्यालय ने वापस बुला लिया है।
स्वीकृत पदों में दो स्वीपर थे, लेकिन केवल एक को नियुक्त किया गया था, और वह भी अब कार्यरत नहीं है। बार-बार अनुरोध के बावजूद न तो नया स्टाफ भेजा गया और न ही मौजूदा सैंपलों को किसी अन्य लैब में ट्रांसफर किया गया।
टीबी मरीजों की स्थिति बिगड़ती जा रही है और अधिकारी स्तर पर कोई समाधान नहीं निकल पाया है।
टीबी उन्मूलन लक्ष्य पर संकट की छाया
केंद्र सरकार ने 2025 तक टीबी उन्मूलन का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है। लेकिन हरियाणा जैसे राज्य में ऐसी बुनियादी कमी इस अभियान को बाधित कर सकती है।
टीबी जैसी गंभीर बीमारी में समय पर जांच और इलाज अत्यंत आवश्यक है। सफाईकर्मी की गैर-मौजूदगी के कारण न केवल नमूने खराब हो रहे हैं, बल्कि संक्रमण का खतरा भी बढ़ रहा है।
राज्य स्वास्थ्य विभाग को चाहिए कि वह त्वरित संज्ञान लेकर ऐसी लैबों की मूलभूत जरूरतों को प्राथमिकता दे।