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हरियाणा सरकार ने प्राकृतिक और जैविक उत्पादों के लिए मूल्य निर्धारण नीति बनाने की योजना बनाई

हरियाणा सरकार ने प्राकृतिक और जैविक उत्पादों के लिए मूल्य निर्धारण नीति बनाने की योजना बनाई है। इसके लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है, जिसमें कृषि विभाग के प्रमुख और किसानों को शामिल किया जाएगा। समिति साल में दो बार मूल्य निर्धारण नीति के लिए सिफारिशें करेगी। यह पहल किसानों को लाभकारी मूल्य दिलाने में मददगार साबित होगी। जानें इस नई नीति के बारे में और अधिक जानकारी।
 

उच्च स्तरीय समिति का गठन


हरियाणा सरकार ने प्राकृतिक और जैविक उत्पादों के लिए मूल्य निर्धारण नीति विकसित करने का निर्णय लिया है। इस नीति के निर्माण के लिए एक समिति का गठन किया गया है। इस समिति की अध्यक्षता कृषि विभाग के प्रधान सचिव और अतिरिक्त मुख्य सचिव करेंगे, जिसमें कृषि और खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभागों के निदेशक तथा चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू), हिसार के कृषि अर्थशास्त्र और कृषि विज्ञान विभागों के प्रमुख शामिल होंगे। इसके साथ ही, किसानों को भी समिति में शामिल किया जाएगा।


समिति में कृषि उपनिदेशकों का समावेश

अंबाला, करनाल, रोहतक, हिसार, गुरुग्राम और फरीदाबाद के कृषि उपनिदेशक भी इस समिति के सदस्य होंगे। हरियाणा किसान कल्याण प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को सचिव के रूप में कार्य करने का दायित्व सौंपा गया है।


मूल्य निर्धारण नीति के लिए सिफारिशें

सरकारी अधिसूचना के अनुसार, इस पैनल को कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) द्वारा प्रदान की गई खेती की लागत का विश्लेषण करने और प्राकृतिक तथा जैविक उपज के लिए मूल्य निर्धारण की सिफारिशें करने का कार्य सौंपा गया है।


साल में दो बार सिफारिशें

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के प्रधान सचिव पंकज अग्रवाल ने बताया कि समिति हर साल दो बार, रबी और खरीफ सीजन से पहले, प्रभावी मूल्य निर्धारण नीति के लिए सिफारिशें तैयार करने के लिए बैठक करेगी।


किसान समर्थक पहल

मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार राजीव जेटली ने इसे किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण पहल बताया है। उनका कहना है कि समिति की सिफारिशें किसानों को लाभकारी मूल्य दिलाने में सहायक होंगी और यह किसानों की भलाई के लिए एक मील का पत्थर साबित होंगी।