दिल्ली धमाके के बाद शाहिदा परवीन गांगुली की महत्वपूर्ण भूमिका
दिल्ली में धमाके के बाद की स्थिति
दिल्ली में हाल ही में हुए धमाके के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई की है। इस कार्रवाई से पाकिस्तान में हड़कंप मच गया है। भारत ने कट्टरपंथियों के खिलाफ ठोस कदम उठाने की तैयारी कर ली है। इस स्थिति में 25 करोड़ पाकिस्तानी नागरिक और उनके नेता भयभीत हैं। एक महिला, जिसने मुनीर और शहबाज जैसे आतंकियों की नींद उड़ा दी है, वह लश्कर के आतंकियों के लिए खतरा बन गई है। यह महिला, जो लाल किले के पास विस्फोट स्थल की जांच कर रही है, का नाम शाहिदा परवीन गांगुली है। वह जम्मू-कश्मीर की पहली महिला आईपीएस अधिकारी और एनकाउंटर विशेषज्ञ हैं। उन्हें जम्मू-कश्मीर में 'लेडी एनकाउंटर स्पेशलिस्ट' और 'लेडी सिंघम' के नाम से भी जाना जाता है।
शाहिदा परवीन गांगुली का परिचय
शाहिदा परवीन गांगुली 1997 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं, जिन्होंने कानून प्रवर्तन में अपनी पहचान बनाई है। जम्मू-कश्मीर के पुंछ में एक साधारण मुस्लिम परिवार में जन्मी शाहिदा ने आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों का सामना करते हुए राज्य की पहली महिला आईपीएस अधिकारी बनने का गौरव प्राप्त किया। उन्हें आतंकवाद विरोधी अभियानों में उनके साहस और घाटी में आतंकियों के मॉड्यूल को ध्वस्त करने में उनकी भूमिका के लिए जाना जाता है।
कठिनाइयों का सामना करते हुए आगे बढ़ना
लगभग 1970 में जन्मी शाहिदा, छह भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं। उनके पिता, जो एक स्थानीय व्यवसायी थे, का निधन जब वह केवल चार साल की थीं, जिससे परिवार आर्थिक तंगी में आ गया। उनकी माँ ने सीमित संसाधनों के बावजूद सभी बच्चों को शिक्षा दिलाने का प्रयास किया। आतंकवाद प्रभावित क्षेत्र में पली-बढ़ी शाहिदा ने पुलिस में करियर बनाने का दृढ़ संकल्प किया और 1994 में सब-इंस्पेक्टर के पद के लिए आवेदन किया। उन्होंने उधमपुर पुलिस अकादमी में प्रशिक्षण प्राप्त किया और 1995 में जम्मू और कश्मीर पुलिस में शामिल हुईं।
घटना स्थल पर उनकी भूमिका
दिल्ली ब्लास्ट केस में शाहिदा परवीन की घटना स्थल पर उपस्थिति यह दर्शाती है कि वह इस मामले की जांच में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली हैं। इस ब्लास्ट में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा से जुड़े संदिग्ध डॉक्टर उमर नबी का नाम भी शामिल है। वह घटना स्थल का मुआयना कर रही हैं और फॉरेंसिक टीम के साथ मिलकर पुराने आतंकवादी मॉड्यूल्स से संबंध स्थापित करने में मदद कर सकती हैं। धमाके की सूचना मिलने के बाद, उन्होंने व्यक्तिगत रूप से घटना स्थल पर जाकर तथ्यों का विश्लेषण किया और सुरक्षा एजेंसियों की जांच को समझने का प्रयास किया। वह कई टीवी चैनलों और पॉडकास्ट पर आतंकवाद और सुरक्षा के मुद्दों पर अपने विचार साझा करती रही हैं।