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धनबाद में कोयला खदान से जहरीली गैस का रिसाव, 25 हजार लोग प्रभावित

झारखंड के धनबाद जिले में बंद कोयला खदान से जहरीली गैस का रिसाव जारी है, जिससे लगभग 25 हजार लोग प्रभावित हो रहे हैं। प्रशासन और बीसीसीएल के लिए यह एक बड़ी चुनौती बन गई है। प्रभावित क्षेत्रों में लोग दहशत में हैं और सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने की प्रक्रिया शुरू की गई है। हालांकि, स्थानीय निवासियों ने मुआवजे और रोजगार की व्यवस्था सुनिश्चित किए बिना अपने घर छोड़ने से इनकार कर दिया है। जानें इस गंभीर स्थिति के बारे में और क्या कदम उठाए जा रहे हैं।
 

धनबाद में गैस रिसाव की गंभीर स्थिति

धनबाद: झारखंड के धनबाद जिले के केंदुआडीह क्षेत्र में पिछले पांच दिनों से बंद कोयला खदान से जहरीली गैस का रिसाव जारी है। इस स्थिति ने लगभग 25 हजार लोगों को दहशत में डाल दिया है। प्रशासन और बीसीसीएल (भारत कोकिंग कोल लिमिटेड) के लिए सबसे बड़ी चुनौती इस घनी आबादी को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करना है।


गैस का प्रभाव राजपूत बस्ती, मस्जिद मोहल्ला, नया धौड़ा, ऑफिसर कॉलोनी और पांच नंबर बस्ती में बढ़ता जा रहा है। मुख्य सड़क तक तीव्र गंध पहुंच चुकी है, जिससे स्थानीय लोग मास्क पहनकर बाहर निकलने को मजबूर हैं। आस-पास की दुकानें बंद हो गई हैं और कई स्थानों पर जमीन गर्म है, जिससे भू-धंसान का खतरा बना हुआ है।


कोयला मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव सनोज कुमार झा ने प्रशासनिक टीम के साथ निरीक्षण के बाद राजपूत बस्ती को “बेहद खतरनाक” घोषित किया। उन्होंने कहा कि प्राथमिकता लोगों को सुरक्षित स्थलों पर भेजने की है। उन्होंने यह भी कहा, “पहले लोग अपनी जान बचाएं। रोजगार और मुआवजे की दिशा में पहल जारी है।” बीसीसीएल का कहना है कि बंद पड़ी कोलियरी में गैस वर्षों से दबकर जमा थी, जो अब सतह तक पहुंच गई है।


महाप्रबंधक जीसी साहा ने बताया कि “स्थायी समाधान तभी संभव है जब पूरा इलाका खाली हो।” प्रशासन ने शनिवार को लगभग 100 लोगों को बसों के माध्यम से बेलगड़िया और करमाटांड़ के पुनर्वास स्थलों तक पहुंचाने की प्रक्रिया शुरू की, लेकिन प्रभावित लोगों के विरोध के कारण बसें देर तक रोकी गईं। स्थानीय निवासियों ने कहा कि बिना ठोस मुआवजे और रोजगार की व्यवस्था के वे अपना घर नहीं छोड़ेंगे। बाद में पुटकी के अंचलाधिकारी के हस्तक्षेप से लोगों को शांत किया गया और बसें रवाना हो सकीं।


बीसीसीएल ने केंदुआडीह मध्य विद्यालय और दुर्गा मंदिर मैदान में लगभग 200-200 लोगों की क्षमता वाले अस्थायी पुनर्वास कैंप तैयार किए हैं। कुछ परिवारों को बेलगड़िया में विस्थापितों के लिए बनाई गई टाउनशिप में स्थानांतरित किया जा रहा है।


गैस रिसाव के कारण प्रियंका देवी और ललिता देवी नामक दो महिलाओं की मौत हो गई थी, जबकि लगभग 20 लोग आंखों में जलन, सांस लेने में कठिनाई और चक्कर आने जैसी समस्याओं के कारण अस्पताल पहुंचे। विशेषज्ञ इसे कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी दमघोंटू गैसों का प्रभाव मानते हैं। यह क्षेत्र वर्षों से अग्नि प्रभावित और धंसान क्षेत्र घोषित है। 2010-11 में बीसीसीएल ने यहां 302 घरों को चिन्हित कर विस्थापन प्रक्रिया शुरू की थी, लेकिन रोजगार संबंधी व्यवस्था न होने के कारण शिफ्टिंग रुक गई।