बिहार चुनाव में प्रशांत किशोर का जनसुराज प्रदर्शन निराशाजनक
बिहार विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर का प्रदर्शन
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर और उनकी पार्टी जनसुराज का प्रदर्शन सभी को हैरान कर गया है। चुनाव से पहले उन्हें एक प्रमुख नेता के रूप में पेश किया गया था, लेकिन परिणामों में उनकी पार्टी का कोई खास प्रभाव नहीं दिखाई दिया।
चुनाव के रुझान सामने आते ही उनके चुनावी दावों और भविष्यवाणियों पर सवाल उठने लगे हैं। विशेष रूप से उनका वह दावा चर्चा का विषय बना हुआ है, जिसमें उन्होंने कहा था कि यदि जेडीयू को 25 से अधिक सीटें मिलीं, तो वह राजनीति छोड़ देंगे।
जनसुराज का चुनावी प्रदर्शन निराशाजनक
बिहार की 243 विधानसभा सीटों पर जनसुराज का प्रदर्शन उम्मीदों के विपरीत रहा। प्रशांत किशोर की पार्टी एक भी सीट पर बढ़त नहीं बना सकी। पटना की कुम्हरार सीट, जिसे पीके के लिए सबसे मजबूत माना जा रहा था, वहां भी उनकी पार्टी तीसरे स्थान पर चल रही है। चुनाव प्रचार के दौरान पीके ने खुद को एक संभावित किंगमेकर के रूप में प्रस्तुत किया था, लेकिन परिणामों ने उनकी रणनीति पर सवाल खड़ा कर दिया है।
पीके का जेडीयू की हार का दावा
चुनाव से पहले, पीके ने कई इंटरव्यू और सभाओं में कहा था कि जेडीयू 25 से अधिक सीटें नहीं जीत पाएगी। उन्होंने यह भी कहा था कि बिहार की जनता बदलाव चाहती है, और नीतीश कुमार की अगुवाई में जेडीयू अपनी जमीन खो चुकी है। उनके अनुसार, राज्य में जनता का झुकाव नए विकल्पों की ओर बढ़ रहा था, जिसके कारण उन्होंने जेडीयू की हार की भविष्यवाणी की थी।
पीके के आत्मविश्वास भरे बयान
एक टीवी इंटरव्यू में प्रशांत किशोर ने आत्मविश्वास से कहा था कि 'लिखकर ले लीजिए, किसी भी हालत में एनडीए की सरकार नहीं बनेगी और जेडीयू को 25 से ज्यादा सीटें नहीं मिलेंगी।' उन्होंने यह भी कहा कि नवंबर के बाद नीतीश कुमार मुख्यमंत्री नहीं रहेंगे और बिहार में नई सरकार बनेगी। इन बयानों ने चुनाव से पहले काफी सुर्खियां बटोरीं, लेकिन परिणामों के बाद अब ये उनके लिए मुश्किलें बढ़ा रहे हैं।
भविष्यवाणी गलत होने पर राजनीति छोड़ने का सवाल
जब एंकर ने उनसे पूछा कि यदि जेडीयू 25 से अधिक सीटें जीत गईं तो क्या वे राजनीति छोड़ देंगे, तो पीके ने दो बार कहा 'हां, मैं राजनीति छोड़ दूंगा।' उन्होंने यह भी कहा कि यदि जनसुराज अच्छा प्रदर्शन करे, लेकिन जेडीयू पर उनकी भविष्यवाणी गलत साबित हो, तब भी वह राजनीति से संन्यास ले लेंगे। अब जबकि परिणाम उनके दावों के विपरीत जा रहे हैं, यह सवाल उन्हें कठघरे में खड़ा कर रहा है।
क्या पीके सच में राजनीति छोड़ेंगे?
नतीजों के बाद सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रशांत किशोर अपने बयान पर कायम रहेंगे? जिस तरह से जेडीयू एनडीए के साथ मजबूत स्थिति में दिख रही है, उससे उनकी भविष्यवाणी पूरी तरह गलत साबित होती नजर आ रही है। अब राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या पीके अपने वादे के अनुसार वास्तव में राजनीति छोड़ देंगे, या इसे चुनावी बयान मानकर आगे बढ़ेंगे।