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BJP और TMC के बीच मतुआ और राजवंशी समुदायों का राजनीतिक संघर्ष

पश्चिम बंगाल में आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर, बीजेपी और टीएमसी के बीच मतुआ और राजवंशी समुदायों को लेकर तीखी बहस चल रही है। ममता बनर्जी ने बीजेपी पर आरोप लगाया है कि वह इन समुदायों को परेशान कर रही है, जबकि बीजेपी ने इसे झूठा डर बताया है। जानें इन समुदायों का राजनीतिक महत्व और पिछले चुनावों में इनका रुख क्या रहा।
 

BJP और TMC: पश्चिम बंगाल की राजनीतिक जंग

BJP और TMC: पश्चिम बंगाल में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, लेकिन राजनीतिक गतिविधियाँ इस वर्ष से ही शुरू हो चुकी हैं। मतुआ और राजवंशी समुदायों को लेकर टीएमसी की नेता और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तथा बीजेपी के बीच तीखी बहस चल रही है। ममता ने बीजेपी पर आरोप लगाया है कि बीजेपी शासित क्षेत्रों में इन समुदायों के लोगों को परेशान किया जा रहा है, उन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है और प्रताड़ित किया जा रहा है। बीजेपी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ममता बनर्जी झूठा डर दिखाकर इन समुदायों का वोट बैंक साधने की कोशिश कर रही हैं। पश्चिम बंगाल में ये दोनों समुदाय महत्वपूर्ण संख्या में मौजूद हैं, जिससे दोनों पार्टियाँ 2026 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए इन समुदायों को लुभाने में जुटी हुई हैं।


पश्चिम बंगाल की राजनीति में समुदायों का प्रभाव

मतुआ समुदाय, जिसे नमशूद्र भी कहा जाता है, बांग्लादेश (तब पूर्वी पाकिस्तान) से आए हिंदू शरणार्थियों का सबसे बड़ा दलित समुदाय है। एक अनुमान के अनुसार, पश्चिम बंगाल में मतुआ वोटरों की संख्या 1.75 से 2 करोड़ के बीच है, जो कुल अनुसूचित जाति (SC) आबादी का 17-18 प्रतिशत है। इस समुदाय का प्रभाव राज्य की 11 लोकसभा सीटों पर देखा जाता है, जिसमें नॉर्थ चौबीस परगना, साउथ चौबीस परगना, नदिया, कूचबिहार, मालदा, हावड़ा और हुगली के कुछ हिस्से शामिल हैं। वहीं, राजवंशी समुदाय की संख्या 50 लाख से अधिक है और इसका प्रभाव उत्तरी बंगाल के जिलों जैसे कूचबिहार, अलीपुरद्वार, जलपाईगुड़ी, दिनाजपुर, दार्जिलिंग और मालदा में है।


किसे मिला फायदा?

2019 के लोकसभा चुनाव में, दोनों समुदायों ने बीजेपी को खुलकर समर्थन दिया था। मतुआ बहुल सीट बनगांव से शांतनु ठाकुर ने जीत हासिल की, जो अब केंद्रीय मंत्री हैं। राजवंशी प्रभाव वाले क्षेत्रों में भी बीजेपी को बढ़त मिली। 2021 के विधानसभा चुनावों में, ममता सरकार ने इन समुदायों को लुभाने के लिए कई योजनाएँ शुरू की थीं, जैसे कि मतुआ समुदाय के लिए भूमि अधिकार, भाषा बोर्ड, छुट्टियाँ और छात्रवृत्तियाँ। राजवंशी समुदाय के लिए भी कई निर्णय लिए गए थे। इन प्रयासों का सकारात्मक परिणाम मिला और विधानसभा चुनाव में दोनों समुदायों ने टीएमसी का समर्थन किया।


बीजेपी का प्रयास

2021 के विधानसभा चुनाव में जब टीएमसी को दोनों समुदायों का समर्थन मिला, तो बीजेपी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में इन समुदायों को प्राथमिकता दी। बीजेपी ने लोकसभा चुनाव से पहले CAA लागू किया, जिससे मतुआ समुदाय को उम्मीद थी कि उन्हें औपचारिक रूप से भारतीय नागरिक का दर्जा मिलेगा। मतदान के दौरान इन समुदायों ने बीजेपी को समर्थन दिया, लेकिन परिणाम में उनके वोट टीएमसी के खाते में चले गए।