चिराग पासवान का बड़ा बयान: जान से मारने की धमकी का किया खुलासा
बिहार की राजनीति में हलचल
बिहार की राजनीतिक स्थिति इन दिनों काफी गर्म है। इसी संदर्भ में, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने एक चुनावी सभा में एक विवादास्पद बयान दिया है। मुंगेर जिले में आयोजित इस सभा में उन्होंने कहा कि कुछ लोग उनकी बढ़ती लोकप्रियता से चिंतित हैं और उन्हें बम से उड़ाने की योजना बना रहे हैं। चिराग ने स्पष्ट किया कि वह किसी भी प्रकार की धमकी से भयभीत नहीं हैं, और उन्होंने खुद को 'शेर का बेटा' बताते हुए कहा कि वह न झुकते हैं और न डरते हैं।
परिवार और राजनीतिक विरोधियों पर हमला
चिराग पासवान ने अपने चाचा पशुपति कुमार पारस और विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) पर भी तीखा प्रहार किया। उन्होंने आरोप लगाया कि ये दल केवल जातीय राजनीति में लिप्त हैं और बिहार की वास्तविक समस्याओं को नजरअंदाज कर रहे हैं। चिराग ने अपने 'बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट' अभियान का उल्लेख करते हुए कहा कि उनके इस नारे से कई राजनीतिक दलों को परेशानी हो रही है, क्योंकि यह उनके जातिवादी दृष्टिकोण पर सीधा हमला करता है।
पहले भी मिल चुकी हैं धमकियाँ
यह पहली बार नहीं है जब चिराग पासवान को जान से मारने की धमकी मिली है। हाल ही में, एक इंस्टाग्राम यूजर ने उन्हें जान से मारने की धमकी दी थी, जिसके बाद पटना साइबर थाना में एफआईआर दर्ज कराई गई। पार्टी के नेताओं का कहना है कि यह वही मामला है, जिसे चिराग ने अब सार्वजनिक रूप से उठाया है। हालांकि, इस शिकायत में किसी राजनीतिक दल का नाम नहीं लिया गया था, लेकिन लोक जनशक्ति पार्टी का दावा है कि धमकी देने वाला व्यक्ति राष्ट्रीय जनता दल (RJD) का समर्थक है।
सुरक्षा को लेकर चिंताएँ
चिराग पासवान के इस बयान के बाद चुनावी सुरक्षा को लेकर सवाल उठने लगे हैं। उन्होंने जिस तरह से सार्वजनिक मंच पर जान का खतरा बताया है, उससे यह स्पष्ट है कि उनकी सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने की आवश्यकता है। इस मामले ने चुनाव आयोग और राज्य पुलिस को भी सतर्क कर दिया है। चिराग का यह साहसिक बयान उनकी छवि को और मजबूत करता है, लेकिन इसके साथ ही राजनीतिक माहौल को और अधिक गर्म भी कर देता है।
बिहार विधानसभा चुनाव में नई बहस
इस घटनाक्रम ने बिहार के आगामी विधानसभा चुनाव में नई बहस को जन्म दिया है, जहां अब मुद्दा केवल विकास या जातीय समीकरण नहीं, बल्कि राजनीतिक नेताओं की सुरक्षा और पारदर्शिता भी बन गई है।