दिल्ली में आतंकवाद: एक गंभीर चर्चा
दिल्ली में दहशत का माहौल
राजीव रंजन तिवारी | जो लोग इस दर्द को भोगते हैं, उनसे पूछिए कि दहशत का अनुभव कैसा होता है। भारत की राजधानी दिल्ली में इस समय दहशत का माहौल है। हर कोई एक-दूसरे को संदेह की नजर से देख रहा है। मोहब्बत की कमी महसूस हो रही है और आपसी रिश्ते भी बिगड़ते जा रहे हैं। यह सोचने का विषय है कि हम किस तरह का समाज बना रहे हैं। इंसानियत के मुकाबले धर्म और राजनीति का महत्व बढ़ता जा रहा है।
कार बम विस्फोट की जांच
दिल्ली में लाल किले के पास हुए कार बम विस्फोट की जांच जारी है। कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने घरेलू आतंकवाद पर चर्चा शुरू की है। उन्होंने कहा कि आतंकवादी दो प्रकार के होते हैं: एक जो विदेश से आते हैं और दूसरे जो घरेलू होते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार इस मुद्दे पर चुप है क्योंकि वह जानती है कि घरेलू आतंकवाद भी एक समस्या है।
केंद्र सरकार ने इस घटना को आतंकवादी हमला मानते हुए बयान जारी किया है। कैबिनेट ने कहा कि यह एक जघन्य आतंकवादी घटना है और दोषियों की पहचान कर कार्रवाई की जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी स्थिति की समीक्षा के लिए बैठक की थी।
तुर्किए का विवाद
दिल्ली धमाके के बाद कुछ सवाल उठ रहे हैं, जैसे कि क्या डॉक्टर उमर और डॉक्टर मुजम्मिल ने तुर्किए में किसी आतंकी शिविर में भाग लिया था? तुर्किए ने इन आरोपों को झूठा बताया है और कहा है कि वह किसी भी तरह की कट्टरपंथी गतिविधियों में शामिल नहीं है।
जांच एजेंसियों को शक है कि ये डॉक्टर जैश-ए-मोहम्मद के नेटवर्क से जुड़े हुए हैं। उनके इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की जांच की जा रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि उन्होंने तुर्किए यात्रा के दौरान क्या निर्देश प्राप्त किए थे।
आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई
दिल्ली विस्फोट के बाद पुलिस ने यूएपीए और विस्फोटक अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी इस मामले की जांच कर रही है। प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने दोषियों को सजा दिलाने का संकल्प लिया है।
निर्दोष नागरिकों पर होने वाले हमले भारत के लिए एक गंभीर समस्या बने हुए हैं। सरकार को एक त्वरित और पारदर्शी जांच के बाद सक्रिय राजनीतिक उपाय करने चाहिए। आतंकवाद के खिलाफ एक प्रभावी रणनीति के तहत सामाजिक सद्भाव को भी बढ़ावा देना चाहिए। (लेखक आज समाज के संपादक हैं।)