प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना: गुजरात में कारीगरों के लिए नई संभावनाएँ
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का महत्व
Vishwakarma Jayanti 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भारतीय कारीगरों की कला और कौशल केवल आर्थिक साधन नहीं हैं, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर और आत्मनिर्भरता का प्रतीक भी हैं। इन्हीं कारीगरों को सशक्त बनाने और उनके हुनर को वैश्विक पहचान दिलाने के लिए, उन्होंने 17 सितंबर 2023 को प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना की शुरुआत की। इस योजना का उद्देश्य पारंपरिक हुनर को आधुनिक रूप में विकसित करना, कारीगरों को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करना और उन्हें नए अवसर उपलब्ध कराना है.
गुजरात में योजना का प्रभाव
गुजरात ने इस महत्वाकांक्षी योजना को सफलतापूर्वक लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में, राज्य ने केवल दो वर्षों में पीएम विश्वकर्मा योजना का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित किया है, जिससे कारीगरों की क्षमता, कौशल और आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है.
गुजरात का उत्कृष्ट प्रदर्शन
गुजरात में पीएम विश्वकर्मा योजना के कार्यान्वयन के आंकड़े बताते हैं कि वित्तीय सशक्तिकरण में राज्य ने उल्लेखनीय प्रगति की है। अब तक 43,000 से अधिक कारीगरों के लिए ₹390 करोड़ से अधिक के ऋण स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से 32,000 से अधिक कारीगरों को ₹290 करोड़ का वितरण किया जा चुका है। इसके अलावा, पंजीकरण और सत्यापन प्रक्रिया में भी राज्य का प्रदर्शन उत्कृष्ट रहा है, जिसमें 2.14 लाख कारीगरों का त्रि-स्तरीय सत्यापन पूरा किया गया है.
कौशल विकास पर ध्यान
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना केवल वित्तीय सहायता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह कौशल विकास को भी प्राथमिकता देती है। इस दिशा में 1.81 लाख कारीगरों ने सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पूरा किया है, जिससे उनकी दक्षता में वृद्धि हुई है। इसके अलावा, कारीगरों की समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए राज्य ने एक विशेष हेल्पडेस्क की स्थापना की है, जिससे 17,500 से अधिक शिकायतों का समाधान किया गया है.
पारदर्शिता के लिए CSC और सत्यापन प्रणाली
गुजरात में पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत कारीगरों का पंजीकरण कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) के माध्यम से किया जा रहा है। आवेदन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए तीन-स्तरीय सत्यापन प्रणाली लागू की गई है। पहले स्तर पर ग्राम पंचायत या शहरी स्थानीय निकाय द्वारा जाँच की जाती है, उसके बाद जिला कार्यान्वयन समिति द्वारा अनुमोदन किया जाता है, और अंत में सत्यापन प्रक्रिया राज्य स्तरीय समिति द्वारा की जाती है. इस प्रणाली ने योजना की विश्वसनीयता को बढ़ाया है.
18 पारंपरिक व्यवसायों को नई पहचान
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना ने उन परंपरागत व्यवसायों को नई पहचान दी है, जो भारत की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा हैं। इस योजना में 18 व्यवसाय शामिल हैं, जिनमें टोकरी, चटाई, मूर्तिकला, पत्थर तराशने वाले, नाव बनाने वाले, कुम्हार, दर्जी, लोहार, धोबी और मोची जैसे कारीगर शामिल हैं. ये सभी पेशे आज भी समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.