×

बिहार चुनाव में एनडीए की बढ़त: महिलाओं और युवाओं का महत्वपूर्ण योगदान

बिहार विधानसभा चुनाव की मतगणना में एनडीए को स्पष्ट बढ़त मिलती दिख रही है, जिसका मुख्य कारण महिलाओं और युवाओं का समर्थन है। चुनाव प्रचार के दौरान महिलाओं की भागीदारी और प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता ने एनडीए को मजबूती प्रदान की है। हालांकि, राजद के पारंपरिक मुस्लिम-यादव वोट बैंक में आई दरार ने विपक्ष के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं। जानें इस चुनाव में क्या हुआ और कैसे एनडीए ने अपनी स्थिति मजबूत की।
 

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में एनडीए की सफलता

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव की मतगणना जारी है, और अब तक के रुझानों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए को स्पष्ट बढ़त मिलती दिख रही है। इस बढ़त के पीछे महिलाओं (M) और युवाओं (Y) का समर्थन एक महत्वपूर्ण कारक माना जा रहा है, जिसे राजनीतिक विश्लेषक 'NDA का नया M-Y समीकरण' कह रहे हैं.


महिलाओं की भागीदारी ने एनडीए को दी मजबूती

चुनाव प्रचार के दौरान संकेत मिले थे कि महिलाओं के बीच सरकार की योजनाएं सकारात्मक प्रभाव डाल रही हैं। जीविका समूहों, महिला रोजगार योजनाओं, छात्राओं के लिए आर्थिक सहायता और सुरक्षा से जुड़े कदमों ने महिला मतदाताओं को एनडीए की ओर आकर्षित किया।


कई बूथों पर महिलाओं ने स्पष्ट रूप से कहा कि 'जिसका खाते हैं, वोट उसी को देंगे।' बिहार सरकार द्वारा दी गई 10 हजार रुपये की सहायता राशि भी कई परिवारों में चर्चा का विषय बनी रही। महिलाओं की बढ़ती भागीदारी का सीधा लाभ एनडीए को मिलता दिख रहा है.


युवाओं में 'मोदी फैक्टर' का प्रभाव

चुनाव अभियान के दौरान युवाओं के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता एक प्रमुख मुद्दा बनी रही। रोजगार, स्टार्टअप योजनाओं और केंद्र की विकास परियोजनाओं को लेकर युवाओं में उत्साह देखा गया। रुझानों के अनुसार, युवा मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा एनडीए की ओर झुका है.


तेजस्वी-राहुल का समीकरण क्यों बिगड़ा?

राजद को उम्मीद थी कि उसका पारंपरिक मुस्लिम-यादव (M-Y) वोट बैंक इस बार भी मजबूती से साथ खड़ा रहेगा, लेकिन आंकड़े कुछ और कहानी कह रहे हैं। टुडेज़ चाणक्य के अनुमान के अनुसार, यादव वोटों का लगभग 23% हिस्सा एनडीए के उम्मीदवारों की ओर शिफ्ट हुआ है। यह बदलाव विपक्ष के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है.


मुस्लिम वोटों में दरार

राजद के लिए चिंता की एक और वजह मुस्लिम वोटों में आई टूट है। कई सीटों पर मुस्लिम मतदाता भाजपा को छोड़कर AIMIM और प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी की ओर गए हैं। इसके अलावा, मुकेश सहनी को डिप्टी सीएम का चेहरा बनाने को लेकर मुस्लिम समुदाय के एक वर्ग में नाराजगी देखी गई, जिसने विपक्ष के समीकरण को और कमजोर कर दिया है.


नतीजों से स्पष्ट है कि इस चुनाव में पारंपरिक M-Y समीकरण उलट गया है। महिलाओं और युवाओं का भरोसा एनडीए के लिए 'X-फैक्टर' साबित हुआ, जबकि राजद-कांग्रेस गठबंधन अपने पुराने वोट बैंक को भी पूरी तरह साध नहीं पाया है.