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बिहार विधानसभा चुनाव 2025: एनडीए की ऐतिहासिक जीत और महागठबंधन की हार

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के परिणामों ने देश की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है। एनडीए ने अभूतपूर्व बढ़त हासिल की है, जबकि महागठबंधन को बड़ा झटका लगा है। उमर अब्दुल्ला ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। जानें इस चुनाव के नतीजों का क्या प्रभाव पड़ेगा और राजनीतिक विश्लेषकों की राय क्या है।
 

बिहार चुनाव के नतीजों ने बदला राजनीतिक परिदृश्य


बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के परिणामों ने देश की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है। एनडीए ने इस बार अभूतपूर्व बढ़त हासिल करते हुए 200 से अधिक सीटों पर जीत दर्ज की, जो गठबंधन की शक्ति को दर्शाता है। इसके विपरीत, विपक्ष के लिए यह चुनाव एक बड़ा झटका साबित हुआ।


उमर अब्दुल्ला की प्रतिक्रिया

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बिहार चुनाव के परिणामों पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि इससे उन्हें अपने राजनीतिक हालात पर कुछ राहत मिली है। उन्होंने बडगाम उपचुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस की हार पर भी टिप्पणी की थी। उनका कहना था कि उनकी पार्टी ने जीतने की उम्मीद से चुनाव लड़ा था, लेकिन जनता ने अलग निर्णय लिया। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि लोकतंत्र में जनता की इच्छा सर्वोच्च होती है और चुनावी परिणाम उसी का प्रतिबिंब होते हैं।


एनडीए की ऐतिहासिक जीत

बिहार चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के लिए परिणाम ऐतिहासिक रहे। 243 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 121 है, लेकिन प्रारंभिक रुझानों से ही यह स्पष्ट था कि एनडीए इस आंकड़े को पार कर बड़ी जीत की ओर बढ़ रहा है। गिनती के दौरान एनडीए लगातार 200 से अधिक सीटों पर आगे रहा, जिससे यह जीत सामान्य चुनावी सफलता से कहीं अधिक महत्वपूर्ण मानी जा रही है।


महागठबंधन को झटका

महागठबंधन को इस बार बड़ा झटका लगा है। पिछले चुनाव में प्रमुख पार्टी के रूप में उभरी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) इस बार 50 सीटों के आंकड़े तक नहीं पहुंच पाई। कांग्रेस का प्रदर्शन भी कमजोर रहा, और उसे केवल पांच सीटों पर बढ़त बनाए रखना चुनौतीपूर्ण साबित हुआ। इन परिणामों ने महागठबंधन की रणनीति और बिहार में उसकी स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।


राजनीतिक विश्लेषकों की राय

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि एनडीए की यह जीत बिहार में उसकी स्थिति को और मजबूत करेगी, जबकि विपक्ष को अपनी कमजोरियों का गहराई से आकलन करना होगा। उमर अब्दुल्ला के बयान ने यह भी संकेत दिया है कि क्षेत्रीय पार्टियां अपने राजनीतिक हालात को राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में देख रही हैं। बिहार के नतीजे यह स्पष्ट कर रहे हैं कि जनता विकास और स्थिरता के पक्ष में वोट कर रही है, और राजनीतिक दलों के लिए भविष्य की रणनीतियों को नए सिरे से तैयार करना आवश्यक है।