बिहार विधानसभा चुनाव में NDA की प्रचंड जीत: बीजेपी की स्थिति मजबूत
बिहार चुनाव में NDA की जीत
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी और जदयू की गठबंधन, NDA, ने शानदार जीत की ओर कदम बढ़ाया है, जबकि महागठबंधन की स्थिति कमजोर होती नजर आ रही है। NDA की इस अभूतपूर्व जीत ने सभी एग्जिट पोल्स के पूर्वानुमानों को गलत साबित कर दिया है.
बीजेपी का शानदार प्रदर्शन
चुनावी परिणामों के इस माहौल में बीजेपी के उत्कृष्ट प्रदर्शन की चर्चा सबसे अधिक हो रही है। इस चुनाव में बीजेपी और जदयू ने 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ा, जिसमें बीजेपी ने 91 सीटों पर बढ़त बनाई है। यदि ये रुझान परिणामों में बदलते हैं, तो बीजेपी बिहार में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी। 2010 के चुनाव में भी बीजेपी ने इतनी ही सीटें जीती थीं, लेकिन उस समय जदयू सबसे बड़ी पार्टी थी। इस बार स्थिति भिन्न है.
बीजेपी के लिए अवसर
क्या बीजेपी के पास फ्रंट फुट पर खेलने का है अवसर?
2020 के विधानसभा चुनाव के नतीजों की तुलना में जदयू का प्रदर्शन भी अच्छा रहा है, और वह 79 सीटें लेकर बीजेपी से 12 सीट पीछे है। इन नतीजों से एक नया राजनीतिक समीकरण उभरता दिख रहा है, जिसमें बीजेपी बिना जदयू के भी बिहार की सत्ता में पहुंच सकती है। हालांकि, यह समीकरण चिराग पासवान की लोजपा-आर, जीतनराम मांझी की HAM और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोकमोर्चा की स्थिति पर निर्भर करेगा.
बीजेपी का जादुई आंकड़ा
जदयू को छोड़कर कैसे जादुई आंकड़ा हासिल कर सकती है बीजेपी?
बिहार विधानसभा में सत्ता में आने के लिए 122 सीटों की आवश्यकता है। बीजेपी के पास वर्तमान में 91 सीटें हैं, जबकि चिराग पासवान की पार्टी के पास 21 सीटें हैं। दोनों को मिलाकर सीटों की संख्या 112 हो जाती है। इसके अलावा HAM की 5 और RLM की 4 सीटें मिलाकर कुल 121 सीटें होती हैं. बसपा का एक उम्मीदवार भी जीतता दिख रहा है.
नीतीश कुमार का प्रभाव
बीजेपी के लिए कैसे X फैक्टर हैं नीतीश कुमार?
यदि बसपा का समर्थन मिल जाता है, तो बीजेपी पूर्ण बहुमत हासिल कर सकती है। हालांकि, यह केवल एक संभावना है, क्योंकि नीतीश कुमार अब भी बिहार में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक कारक हैं। यदि वह चाहें, तो सरकार बनाने की क्षमता रखते हैं. अगर वह बीजेपी को छोड़कर महागठबंधन के साथ सरकार बनाते हैं, तो वह अधिक आरामदायक स्थिति में होंगे, क्योंकि आरजेडी उनके साथ होगी.
नीतीश कुमार के विकल्प
नीतीश कुमार के पास क्या हैं विकल्प?
जदयू, जो 79 सीटें जीत चुकी है, यदि आरजेडी की 28, कांग्रेस की 5, ओवैसी की 5 और अन्य की 9 सीटें जोड़ ले, तो नीतीश कुमार भी अलग होकर सरकार बना सकते हैं। यह नतीजा बेहद दिलचस्प है और कई राजनीतिक विकल्प प्रस्तुत करता है, जिससे यह अनुमान लगाना कठिन है कि कौन सा समीकरण अंतिम रूप लेगा. नीतीश कुमार के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह होगी कि उन्हें कई ऐसे दलों को साधना होगा, जो उनकी उदार विचारधारा से मेल नहीं खाते.