बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की बढ़त, विपक्ष ने उठाए सवाल
बिहार विधानसभा चुनाव के रुझान
बिहार विधानसभा चुनाव में 243 सीटों पर आए रुझानों के अनुसार, एनडीए ने बड़ी जीत की ओर कदम बढ़ा लिया है, जबकि महागठबंधन को बड़ा झटका लगने की संभावना है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, भाजपा 90 और जेडीयू 80 सीटों पर आगे चल रही है, जबकि राजद 28 और कांग्रेस 5 सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं।
इस बीच, रुझानों को लेकर विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है। एनडीए को स्पष्ट बहुमत मिलने पर समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा और चुनाव आयोग पर निशाना साधते हुए कहा कि बिहार चुनाव के परिणामों ने एसआईआर के खेल को उजागर कर दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा एक धोखा है।
अखिलेश यादव ने शुक्रवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि बिहार में जो खेल एसआईआर ने किया है, वह पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, यूपी और अन्य जगहों पर अब नहीं हो सकेगा, क्योंकि इस चुनावी साजिश का भंडाफोड़ हो चुका है। उन्होंने कहा कि अब हम इनको ऐसा खेल नहीं खेलने देंगे। सीसीटीवी की तरह हमारा ‘पीपीटीवी’ यानी ‘पीडीए प्रहरी’ भाजपाई मंसूबों को नाकाम करेगा। भाजपा एक दल नहीं, बल्कि एक छल है।
कांग्रेस नेता उदित राज ने इस चुनाव पर बात करते हुए कहा, “यह एनडीए की जीत नहीं, बल्कि एसआईआर और चुनाव आयोग की जीत है। इसमें वोट चोरी हुई है। हरियाणा और महाराष्ट्र में इन्होंने वोट चुराकर सरकार बनाई। बिहार में हमने अंत तक आपत्ति जताई, लेकिन चुनाव आयोग ने लिखित में कुछ नहीं दिया। ऐसे में परिणाम तो ऐसे ही आने थे।
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेश बघेल ने एक्स पर लिखा, ”मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को बिहार चुनाव में जीत की बधाई। आपने बहुत मेहनत की। 64 लाख मतदाताओं के नाम काटे गए। 16 लाख नए मतदाताओं ने आवेदन किया और आपने 21 लाख नए नाम जोड़ लिए। धांधली पर धांधली। भाजपा को आपसे बेहतर सहयोगी नहीं मिल सकता।
शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने एनडीए को स्पष्ट बहुमत मिलने पर भाजपा और चुनाव आयोग पर हमला बोला। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ”बिहार विधानसभा चुनाव के परिणाम से चौंकने की जरूरत नहीं है। चुनाव आयोग और भाजपा मिलकर जो राष्ट्रीय कार्य कर रहे थे, उसे देखते हुए इससे अलग नतीजे आना संभव नहीं था। बिल्कुल महाराष्ट्र जैसा पैटर्न। जिस गठबंधन का सत्ता में आना तय था, वह 50 के अंदर ही खत्म हो गया।