बीबीसी ने डोनाल्ड ट्रम्प से मांगी माफी, विवादित डॉक्यूमेंट्री पर उठे सवाल
बीबीसी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से माफी मांगी है, जो कि 6 जनवरी 2021 के भाषण के गलत संपादन के कारण हुआ। इस विवाद ने बीबीसी के अधिकारियों के इस्तीफे को जन्म दिया और ट्रम्प के वकील ने 1 बिलियन डॉलर के मानहानि मुकदमे की धमकी दी। जानें इस मामले की पूरी कहानी और इसके संभावित कानूनी परिणाम।
Nov 14, 2025, 21:17 IST
बीबीसी की माफी और विवाद का कारण
बीबीसी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से माफी मांग ली है, लेकिन यह स्पष्ट किया है कि उसने उनकी छवि को जानबूझकर नुकसान नहीं पहुंचाया। यह मामला 6 जनवरी 2021 को दिए गए ट्रम्प के भाषण से संबंधित है, जिसे बीबीसी की एक डॉक्यूमेंट्री में गलत तरीके से संपादित किया गया था।
बीबीसी चेयर का पत्र और विवाद की शुरुआत
बीबीसी के चेयर समीर शाह ने व्हाइट हाउस को एक निजी पत्र भेजकर इस संपादन पर खेद व्यक्त किया है। उन्होंने स्वीकार किया कि भाषण के कुछ हिस्सों को इस तरह जोड़ा गया कि ऐसा प्रतीत हुआ जैसे ट्रम्प ने एक ही समय में हिंसा भड़काने वाले शब्द कहे, जबकि वास्तव में ये हिस्से लगभग एक घंटे के अंतराल पर थे।
ट्रम्प के वकील की धमकी और मुआवजे की मांग
यह विवाद तब बढ़ा जब ट्रम्प के वकील ने बीबीसी को 1 बिलियन डॉलर के मानहानि मुकदमे की चेतावनी दी और माफी के लिए एक समय सीमा निर्धारित की। उनका कहना था कि इस गलत संपादन से ट्रम्प की छवि को गंभीर नुकसान हुआ है और उन्हें उचित मुआवजा मिलना चाहिए।
डॉक्यूमेंट्री का संदर्भ और विवाद का विस्तार
यह विवादित डॉक्यूमेंट्री बीबीसी की प्रसिद्ध श्रृंखला पैनोरमा का हिस्सा थी, जिसका शीर्षक था “ट्रम्प: ए सेकंड चांस?”। यह एपिसोड 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से पहले प्रसारित हुआ, जिससे विवाद की शुरुआत हुई।
भाषण के संपादन की प्रक्रिया
डॉक्यूमेंट्री बनाने वाली थर्ड-पार्टी प्रोडक्शन कंपनी ने ट्रम्प के भाषण के तीन हिस्सों को जोड़कर एक ऐसा बयान बना दिया था, जिसमें वह हिस्सा हटा दिया गया था, जिसमें ट्रम्प ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन की बात की थी।
बीबीसी के अधिकारियों का इस्तीफा
रिपोर्टों के अनुसार, बीबीसी इस विवाद से इतनी प्रभावित हुआ कि इसके डायरेक्टर-जनरल टिम डेवी और न्यूज हेड डेबराह टर्नेस ने 9 नवंबर को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। दोनों ने माना कि यह गलती संगठन की प्रतिष्ठा के लिए हानिकारक बन रही है।
कानूनी स्थिति और संभावित परिणाम
कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, ट्रम्प का मुकदमा अदालत तक पहुंचना मुश्किल है, क्योंकि इंग्लैंड में मानहानि मामलों की समय सीमा समाप्त हो चुकी है और यह डॉक्यूमेंट्री अमेरिका में प्रसारित नहीं हुई थी। ऐसे में यह साबित करना कठिन होगा कि अमेरिकी जनता की राय इस प्रसारण से प्रभावित हुई है।
बीबीसी की स्थिति और आगे की जांच
हालांकि, यदि मामला अदालत में जाता, तो बीबीसी यह साबित कर सकता था कि इस प्रकरण से ट्रम्प को कोई वास्तविक नुकसान नहीं हुआ, क्योंकि वे 2024 का राष्ट्रपति चुनाव जीत चुके हैं। बीबीसी ने यह भी कहा है कि वह डेली टेलीग्राफ की उस रिपोर्ट की जांच कर रहा है, जिसमें दावा किया गया है कि 2022 में न्यूज़नाइट ने भी ट्रम्प के इसी भाषण को मिलाकर दिखाया था।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, बीबीसी ने अपनी गलती स्वीकार कर ली है, लेकिन यह भी स्पष्ट किया है कि जानबूझकर किसी को बदनाम करने का उसका इरादा नहीं था, और यही बात अब पूरे मामले की दिशा को निर्धारित कर रही है।