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दिल्ली में लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास धमाके की जांच में नया मोड़

दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए धमाके की जांच में डॉ. उमर नबी का नाम सामने आया है। वह फैज इलाही मस्जिद गया था, जो तबलीगी जमात के अधीन है। पुलिस का मानना है कि इस धमाके में जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवत-उल-हिंद का हाथ हो सकता है। धमाके में 12 लोगों की मौत हुई और 20 से अधिक लोग घायल हुए। जानें इस मामले में और क्या खुलासे हुए हैं।
 

दिल्ली धमाके की जांच में नया खुलासा


सोमवार की शाम को दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के निकट हुए धमाके की जांच में एक नया मोड़ आया है। जानकारी के अनुसार, आरोपी डॉ. उमर नबी ने धमाके से पहले पुरानी दिल्ली की फैज इलाही मस्जिद का दौरा किया था, जो तबलीगी जमात के अधीन है।


आरोपी की पहचान और संदिग्ध संगठन

डॉ. उमर, जो जम्मू-कश्मीर के पुलवामा का निवासी है, फरीदाबाद में अल-फलाह यूनिवर्सिटी में सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्यरत था। पुलिस को संदेह है कि इस धमाके में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवत-उल-हिंद शामिल हो सकते हैं।


मस्जिद से लाल किला की ओर यात्रा

सूत्रों के अनुसार, उमर नबी ने दोपहर 2:30 बजे फैज इलाही मस्जिद में प्रवेश किया और वहां लगभग 10 से 15 मिनट बिताए। इसके बाद, वह सुनेहरी मस्जिद के पास स्थित रेड फोर्ट पार्किंग की ओर बढ़ा। सीसीटीवी फुटेज में उसे मस्जिद में प्रवेश करते और बाहर निकलते हुए देखा गया है। उसी शाम, उसकी कार गेट नंबर 1 के पास धमाके में नष्ट हो गई, जिससे कई अन्य वाहन भी जल गए।


फैज इलाही मस्जिद का महत्व

फैज इलाही मस्जिद रामलीला मैदान के कोने पर, तुर्कमान गेट के सामने स्थित है और यह तबलीगी जमात के नियंत्रण में चलती है। जांच एजेंसियां यह पता लगाने में जुटी हैं कि क्या उमर नबी का मस्जिद से पहले से कोई संबंध था और क्या उसने वहां किसी से मुलाकात की थी।


धमाके के परिणाम

सोमवार शाम लगभग 6 बजे एक धीमी गति से चल रही Hyundai i20 में अचानक विस्फोट हुआ। इस धमाके में 12 लोगों की जान गई और 20 से अधिक लोग घायल हुए। विस्फोट की तीव्रता इतनी अधिक थी कि आसपास की गाड़ियां जलकर खाक हो गईं। चश्मदीदों के अनुसार, धमाके के बाद सड़क पर अफरातफरी मच गई और लोग जान बचाने के लिए भागने लगे।


जांच में मिले महत्वपूर्ण सुराग

पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला है कि मृतकों के कान, फेफड़े और आंतों में गंभीर चोटें थीं। कई लोगों की मौत अधिक खून बहने और टकराव के कारण हुई। सूत्रों के अनुसार, डॉ. उमर ने धमाका उस समय किया जब उसके साथी फरीदाबाद में गिरफ्तार हो चुके थे। माना जा रहा है कि उसने घबराहट में विस्फोट किया। जांच टीमें अब उसके दोनों साथियों की भूमिका की जांच कर रही हैं.