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पंजाब में प्रदूषण के खिलाफ सख्त कदम: ज़ीरा डिस्टलरी पर ताला

पंजाब में मुख्यमंत्री भगवंत मान ने ज़ीरा स्थित विवादास्पद डिस्टलरी को स्थायी रूप से बंद करने का निर्णय लिया है। यह कदम प्रदूषण के खिलाफ सख्त कार्रवाई का हिस्सा है, जिसमें सरकार ने स्पष्ट किया है कि प्रदूषण फैलाने वालों के लिए राज्य में कोई स्थान नहीं है। स्थानीय समूहों की लंबे संघर्ष के बाद यह निर्णय आया है, जो स्वास्थ्य और स्वच्छता को प्राथमिकता देता है। जानें इस महत्वपूर्ण फैसले के पीछे की कहानी और इसके प्रभाव।
 

मुख्यमंत्री भगवंत मान का ऐतिहासिक निर्णय


चंडीगढ़: पंजाब, जो पहले प्रदूषण की समस्या से जूझ रहा था, अब मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में एक नई दिशा में बढ़ रहा है। राज्य का विकास अब प्रदूषण के बजाय स्वच्छ हवा, साफ पानी और स्वस्थ जीवन पर निर्भर करता है। मुख्यमंत्री मान की सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए ज़ीरा में स्थित विवादास्पद मालब्रोस इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड (डिस्टलरी और एथनॉल प्लांट) को स्थायी रूप से बंद करने का निर्णय लिया है। सरकार ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के समक्ष स्पष्ट किया है कि प्रदूषण फैलाने वालों के लिए पंजाब में कोई स्थान नहीं है।


ज़ीरा डिस्टलरी का प्रदूषण

ज़ीरा की यह डिस्टलरी कई वर्षों से पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही थी। पंजाब सरकार ने NGT में एक हलफनामा प्रस्तुत किया, जिसमें स्वीकार किया गया कि इस फैक्ट्री ने लंबे समय से पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन किया है, जिससे हवा, पानी और मिट्टी प्रदूषित हुई है। यह हलफनामा NGT के 9 सितंबर, 2025 के आदेश के अनुपालन में प्रस्तुत किया गया। सरकार ने स्पष्ट किया कि किसी भी उद्योग का लाभ नागरिकों के स्वच्छ वातावरण में जीने के अधिकार से बड़ा नहीं हो सकता।


फैक्ट्री के खिलाफ सख्त कार्रवाई

फैक्ट्री के मालिक ने पिछली सुनवाई में केवल इथेनॉल प्लांट चलाने की अनुमति मांगी थी, जिसे सरकार ने सख्ती से अस्वीकार कर दिया। सरकार का कहना है कि जिस फैक्ट्री का रिकॉर्ड इतना खराब है, उसे फिर से काम करने की अनुमति देना जनता के हित में नहीं है। हलफनामे में कहा गया है कि परियोजना संचालक की स्थायी बंदी के लिए यह एक उचित मामला है, क्योंकि डिस्टलरी और इथेनॉल प्लांट का अंतिम उत्पाद रासायनिक रूप से समान है। पंजाब सरकार ज़ीरा के नागरिकों के साथ खड़ी है और प्रदूषण के प्रति 'शून्य-सहिष्णुता' की नीति अपनाएगी।


प्रदूषणकर्ता भुगतान सिद्धांत

सरकार ने इस मामले में 'प्रदूषणकर्ता भुगतान' सिद्धांत को कड़ाई से लागू करने की मांग की है। इसका अर्थ है कि जो प्रदूषण फैलाता है, उसे पर्यावरण की बहाली और उपचारात्मक लागतों का पूरा खर्च उठाना होगा। सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि ज़ीरा के पर्यावरण की पूरी तरह से सफाई हो और खर्च फैक्ट्री मालिक से वसूला जाए। हलफनामे में यह निष्कर्ष निकाला गया है कि परियोजना उल्लंघनों को माफ नहीं किया जा सकता और उसी प्रवर्तक द्वारा संचालन जारी रखने की अनुमति देना कानून और सार्वजनिक नीति के खिलाफ होगा।


स्थानीय समूहों की जीत

यह निर्णय ज़ीरा के स्थानीय समूहों, जैसे ज़ीरा सांझा मोर्चा और पब्लिक एक्शन कमेटी (PAC), के लंबे संघर्ष की एक बड़ी जीत है। PAC ने कहा है कि यह पहली बार है जब सरकार ने स्वीकार किया है कि एक उद्योग प्रदूषण फैला रहा है और उसे स्थायी रूप से बंद किया जाना चाहिए। यह दर्शाता है कि यदि जनता सच्चाई के लिए खड़ी रहे, तो सरकार को भी वास्तविकता को स्वीकार करना पड़ता है। मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार ने यह साबित कर दिया है कि उनके लिए पंजाब की जनता का स्वास्थ्य और 'रंगला पंजाब' का सपना सबसे महत्वपूर्ण है। इस मामले की अगली सुनवाई NGT में 24 नवंबर को होगी।