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1 मार्च से तीन दिवसीय आयोजन में दत्तोपंत ठेंगड़ी शोध संस्थान भारत केन्द्रित शोध को करेगा प्रोत्साहित

 




- राष्ट्रीय शोधार्थी समागम : देश के विद्वान शिक्षक व शोधार्थी करेंगे मंथन

- भारत के पुनरुत्थान के लिए सहयोगात्मक अनुसंधान की पहल

भोपाल, 27 फ़रवरी (हि.स.)।भोपाल स्थित दत्तोपंत ठेंगड़ी शोध संस्थान द्वारा। से 3 मार्च के बीच राष्ट्रीय शोधार्थी समागम का आयोजन किया जा रहा है। भारत के ज्ञान, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, मानविकी सहित अलग-अलग विषयों में भारत केन्द्रित शोध को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से आयोजित इस समागम में देश भर से 280 से अधिक शिक्षाविद्, अनुसंधानकर्ता, स्वतंत्र शोधकर्ता भाग लेंगे।

शोध संस्थान के निदेशक डॉ. मुकेश कुमार मिश्रा ने पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि संस्थान द्वारा देश में पहली बार भारतीय ज्ञान परंपरा पर केन्द्रित शोध दृष्टि के प्रोत्साहन को लेकर इस तरह का समागम आयोजित किया जा रहा है। उच्च शिक्षा, मध्यप्रदेश शासन, राष्ट्रीय तकनीकी शिक्षक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान तथा मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद इस आयोजन के सह आयोजक हैं।

भारतीय ज्ञान परंपरा में अनुभव, अवलोकन, प्रयोग और विश्लेषण की व्यवस्थित प्रणाली रही है। लेकिन यह शोध परंपरा हमारी अकादमिक शोध पद्धति से विस्मृत हो गई। इस समागम के माध्यम से मानव जीवन के सभी क्षेत्रों में भारतमुखी चिंतन, शोध, अनुसंधान की गति बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है।

डॉ. मिश्रा ने बताया कि इस समागम में देश भर के 30 से अधिक शिक्षाविद् और विद्वान 14 से अधिक सत्रों को संबोधित करेंगे। समागम में प्रमुख रूप से भारत केंद्रित अनुसंधान, विचारों का आदान-प्रदान, भारतीय ज्ञान परंपरा का प्रवाह, शोध रणनीति तैयार करना, शोधकर्ताओं के बीच सहयोग, विकसित भारत-2047 के लक्ष्य को पूरा करना, शोध की गुणवत्ता, युवा शोधकर्ताओं को सशक्त बनाना, अनुसंधान और विकास के लिए नीति तथा अनुसंधान का डिजिटलीकरण विषयों पर चर्चा होगी। भारतीय ज्ञान परंपरा के समावेश पर केंद्रित एक कार्यशाला भी आयोजित होगी। साथ ही आर्टिफिशियल इंटलीजेंस के उपयोग को लेकर विशेषज्ञ विमर्श करेंगे।

इन विषयों पर होगा विमर्श

तीन दिवसीय इस कार्यक्रम में शिक्षाविद् और शोधार्थियों द्वारा भारतीय ज्ञान परंपरा को संरक्षित, साक्षा और विस्तारित ग्रामीण, विकास, शिक्षा, स्वासथ्य, सेवा सतत और आर्थिक विकास में भारत केन्द्रित अनुसंधान के माध्यम से भारतीय सन्दर्भ को उपयोगी बनाते, नवाचार, बहुविषयी दृष्टिकोण के विकास, विकसित भारत-2047 के लक्ष्य के अनुरूप अनुसंधान को बढ़ावा देने, अनुसंधान विधि और सहायता के लिए रास्ते तलाशने,

युवा शोधकर्ताओं को प्रोत्साहित और सशक्त बनाने, सार्वजनिक नीति पर शोध के प्रभाव आदि विषयों पर विचार विमर्श होगा। इस समागम में शोधार्थी भाषा, कला, परंपरा, दर्शन, विकसित भारत, प्रौधोगिकी, वैदिक विज्ञान, उद्यमिता, कृषि, आधुनिक शिक्षा, सामाजिक-आर्थिक विकास, डिजिटल भारत, जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण संरक्षण, वैश्विक कूटनीति, योग और आयुर्वेद विषयों पर शोध पत्र भी प्रस्तुत करेंगे।

नैमिष वार्ता -मुक्त सत्र

समागम में प्रतिभागियों और विद्वानों के बीच मुक्त सत्र भी आयोजित किया जाएगा, इसका नाम नैमिष वार्ता रखा गया है। राष्ट्रीय शोधार्थी समागम के उद्घाटन सत्र में प्रसिद्ध चिंतक एवं विचारक मुकुल कानिटकर (नागपुर) बीज वक्तव्य देंगे। आचार्य मिथिलेश नन्दिनीशरण (अयोध्या) अध्यक्षता करेंगे एवं मुख्य अतिथि इंदर सिंह परमार (उच्च शिक्षा मध्यप्रदेश शासन) होंगे।

ये विद्वान सत्रों में रखेंगे विचार

विविध सत्रों में मुख्य रूप से पद्मश्री डॉ. कपिल तिवारी (भोपाल), प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी (दिल्ली), प्रो. वी.के. मल्होत्रा (दिल्ली), प्रो. बी.एन. लाभ (सांची), प्रो. सी.सी. त्रिपाठी (भोपाल), प्रो. मौली कौशल (अहमदाबाद), प्रो. अनिल कोठारी (भोपाल), विजय मनोहर तिवारी (भोपाल), आशीष गुप्ता (जबलपुर), डॉ. श्रीकृष्ण 'जुगनू' (उदयपुर), प्रो. एस. सूर्य प्रकाश (भोपाल), प्रो. नचिकेता तिवारी (कानपुर), प्रो. आशीष पाण्डे (मुम्बई), डॉ. अमित कुमार दसोरा (नोयडा), डॉ. रीता सोनी (दिल्ली), डॉ. नवल गर्ग (दिल्ली), डॉ. अजय सैनी (दिल्ली), डॉ. उत्पल चक्रवर्ती (दिल्ली), आद्या दीक्षित (शिमला), स्वाति आनंद (छत्तीसगढ़) अपने विचार रखेंगे।

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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. मयंक चतुर्वेदी