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चिराग पासवान का राजनीतिक उदय: बिहार चुनाव 2025 में लोजपा (आरवी) की अभूतपूर्व सफलता

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में चिराग पासवान की लोजपा (आरवी) ने अभूतपूर्व सफलता हासिल की है। इस चुनाव में एनडीए की जीत के साथ-साथ चिराग का उभार भी चर्चा का विषय बना है। 43 वर्षीय चिराग ने अपनी पार्टी को 29 सीटों में से 20 पर जीत दिलाई, जो उनके राजनीतिक सफर में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। जानें कैसे उन्होंने अपनी पहचान बनाई और भविष्य में बिहार की राजनीति को किस दिशा में ले जाने की योजना बनाई है।
 

बिहार विधानसभा चुनाव 2025: एक ऐतिहासिक पल


बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को एक महत्वपूर्ण घटना के रूप में देखा जाएगा, जिसमें एनडीए ने शानदार जीत हासिल की। नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जोड़ी ने एक बार फिर अपनी राजनीतिक ताकत को साबित किया। लेकिन इस चुनाव की असली कहानी केवल सत्ता में वापसी की नहीं है, बल्कि एक युवा नेता के उभरने की भी है, जिसे पहले कभी गंभीरता से नहीं लिया गया। यह युवा नेता हैं, चिराग पासवान।


लोजपा (रामविलास) का शानदार प्रदर्शन

चिराग पासवान ने अपनी पार्टी लोजपा (रामविलास) को अभूतपूर्व सफलता दिलाई है, जिसमें पार्टी ने 29 सीटों में से 20 पर जीत हासिल की और लगभग 69% का स्ट्राइक रेट प्राप्त किया। यह उल्लेखनीय है कि यह सफलता तब आई है जब पिछले साल लोकसभा चुनाव में पार्टी ने सभी पांच सीटें जीती थीं।


2020 के विधानसभा चुनाव में लोजपा की स्थिति बेहद कमजोर थी, जहां पार्टी ने 130 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन केवल एक सीट पर जीत हासिल की। उस समय यह चर्चा थी कि चिराग अपने पिता, दिग्गज नेता रामविलास पासवान की विरासत को संभालने में सक्षम नहीं हैं। इसके बाद 2021 में पार्टी के भीतर विभाजन ने चिराग के लिए और भी बड़ी चुनौतियाँ खड़ी कर दीं, जब उनके चाचा पशुपति पारस ने अलग होकर अपनी राजनीतिक पहचान बनाई। लेकिन चिराग ने हार नहीं मानी।


चिराग पासवान: युवा बिहारी की नई पहचान

43 वर्ष की आयु में, चिराग ने खुद को युवा बिहारी के रूप में स्थापित किया और अपनी राजनीति को दलित हितों से जोड़ा। इसका परिणाम 2024 के लोकसभा चुनाव में देखने को मिला, जहां उन्होंने 100% सफलता प्राप्त की। हालांकि, विधानसभा चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे में भाजपा और जेडीयू ने उन्हें ज्यादा महत्व नहीं दिया। कहा जाता है कि दोनों दल 20 से अधिक सीटें देने में हिचकिचा रहे थे।


इस स्थिति में, चिराग ने प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी से भी बातचीत शुरू की, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि वे किसी भी दबाव में झुकने को तैयार नहीं हैं। अंततः उन्होंने एनडीए से 29 सीटें हासिल कीं और अब तक का सबसे मजबूत प्रदर्शन किया।


चिराग पासवान का लक्ष्य और भविष्य

चुनाव से पहले, चिराग ने स्पष्ट किया था कि उनके कार्यकर्ता उन्हें राज्य के शीर्ष पद पर देखना चाहते हैं। उनका लक्ष्य हर स्तर पर आगे बढ़ना है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति उनकी निष्ठा अटूट है और किसी अन्य पार्टी के साथ जाने का सवाल नहीं उठता।


एनडीए की बड़ी जीत पर लोजपा (आरवी) सांसद शांभवी चौधरी ने कहा कि जनता ने विकास की राजनीति को चुना है, जो इस गठबंधन की ताकत है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि चिराग पासवान का उभार बिहार की राजनीति को किस दिशा में ले जाता है।