तरनतारन उपचुनाव में आम आदमी पार्टी की शानदार जीत
तरनतारन उपचुनाव का परिणाम
तरनतारन उपचुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) की शानदार जीत ने भगवंत मान की सरकार को महत्वपूर्ण राजनीतिक लाभ प्रदान किया है। जबकि जीत की उम्मीद पहले से थी, लेकिन जिस बड़े अंतर से यह जीत मिली है, उसने पंजाब के राजनीतिक विश्लेषकों को भी चौंका दिया है। लंबे समय से शिरोमणि अकाली दल का गढ़ रहे तरनतारन के मतदाताओं ने तीन चुनावों में अपना मत बदला, और हरमीत सिंह संधू ने दो चुनाव हारने का बदला इस उपचुनाव में जीतकर लिया। यह परिणाम 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले 'आप' की स्थिति को मजबूत करेगा।
शिरोमणि अकाली दल की स्थिति
शिरोमणि अकाली दल (बादल) के लिए यह परिणाम राहत भरा है। पार्टी की उम्मीदवार सुखविंदर कौर ने कांग्रेस और कट्टरपंथी समर्थित उम्मीदवार को पीछे छोड़कर दूसरे स्थान पर आकर सुखबीर सिंह बादल के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन प्रदान किया है। हाल ही में राज्य में आई बाढ़ के दौरान सुखबीर बादल की सक्रियता ने पार्टी की छवि को बेहतर किया है, जिसका असर इस नतीजे में स्पष्ट रूप से देखा गया। अकाली दल (बादल) के पुनरुत्थान के ये संकेत पंजाब की राजनीति के लिए सकारात्मक माने जा सकते हैं।
कांग्रेस की हार
कांग्रेस इस चुनाव में सबसे बड़ी हारने वाली पार्टी साबित हुई है। पंजाब में विपक्ष की भूमिका निभा रही कांग्रेस पार्टी आज़ाद उम्मीदवार मंदीप सिंह खालसा से भी पीछे रह गई, जिन्हें 'वारिस पंजाब दे' के नेता अमृतपाल सिंह का समर्थन मिला था। चौथे स्थान पर रहने वाली कांग्रेस के लिए यह शर्मनाक स्थिति थी, क्योंकि पार्टी का उम्मीदवार करणबीर सिंह अपनी ज़मानत भी नहीं बचा सके। पार्टी के लिए यह स्थिति चिंताजनक है, और अगर कांग्रेस 2027 में सत्ता में वापसी चाहती है, तो उसे संगठन को मजबूत करना होगा।
भाजपा की स्थिति
भाजपा का पांचवें स्थान पर आना एक बार फिर दर्शाता है कि पार्टी पंजाब के मतदाताओं के बीच अपनी पकड़ नहीं बना पा रही है। हरजीत सिंह संधू को उम्मीदवार बनाने के बाद पार्टी ने उम्मीद जताई थी कि उन्हें अच्छा समर्थन मिलेगा, लेकिन नतीजे इसके विपरीत रहे। यदि भाजपा राज्य में अपनी खोई हुई स्थिति को पुनः प्राप्त करना चाहती है, तो उसे अपनी रणनीति को नए सिरे से तैयार करना होगा।
आप की जीत का महत्व
आप के लिए यह जीत एक बड़ा मनोबल बढ़ाने वाला परिणाम है। पार्टी ने एक और उपचुनाव में बड़े अंतर से जीतकर यह साबित किया है कि वह दिल्ली चुनाव में हार के बाद गंभीरता से काम कर रही है। आने वाले 15 महीनों में विधानसभा चुनाव होंगे, और 'आप' को शिक्षा, स्वास्थ्य और राज्य की वित्तीय स्थिति पर ध्यान देकर इस सकारात्मक माहौल को बनाए रखना होगा।