बिहार विधानसभा चुनाव 2025: एनडीए की बढ़त, महागठबंधन की चुनौती
बिहार में चुनावी माहौल गरमाया
पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की मतगणना शुरू होते ही राजनीतिक परिदृश्य में हलचल तेज हो गई है। मतगणना के लगभग दो घंटे बाद एनडीए को प्रचंड बहुमत की ओर बढ़ते हुए देखा जा रहा है, जबकि राजद शुरुआती रुझानों में पीछे चल रहा है। चुनाव विश्लेषक बार-बार यह स्पष्ट कर रहे हैं कि ये केवल प्रारंभिक आंकड़े हैं और जैसे-जैसे मतगणना आगे बढ़ेगी, स्थिति में बदलाव संभव है।
शुरुआती रुझानों का विश्लेषण
सुबह 11 बजे तक के रुझानों के अनुसार, तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाला महागठबंधन अब तक की सबसे बड़ी हार की ओर बढ़ रहा है। भाजपा और जेडीयू के बीच कांटे की टक्कर चल रही है। कांग्रेस की स्थिति भी चुनौतीपूर्ण बनी हुई है, जो अब तक के सबसे खराब प्रदर्शन की ओर अग्रसर है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ये रुझान जारी रहते हैं, तो बिहार की सत्ता एनडीए के पक्ष में मजबूत हो सकती है। हालांकि, मतगणना अभी प्रारंभिक चरण में है, इसलिए अंतिम परिणाम भिन्न हो सकते हैं।
महागठबंधन की चुनावी रणनीति
महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी राजद ने 243 में से 143 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए। कांग्रेस ने 61 सीटों पर चुनाव लड़ा, जबकि वामपंथी दलों और मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) को भी कुछ सीटें दी गईं। महागठबंधन की रणनीति पिछली बार की तुलना में अधिक संतुलित मानी जा रही थी, लेकिन शुरुआती रुझान यह दर्शाते हैं कि इसका प्रभाव वोटों में अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है.
एनडीए की रणनीति
एनडीए ने भी सीटों का बंटवारा सोच-समझकर किया है। भाजपा और जेडीयू दोनों ने 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ा। इसके अलावा चिराग पासवान की लोजपा (रामविलास), जीतन राम मांझी की हम (सेक्युलर) और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा भी इस गठबंधन का हिस्सा हैं।
दिलचस्प बात यह है कि 2020 के चुनावों की तुलना में इस बार जेडीयू की स्थिति बेहतर नजर आ रही है। यह बढ़त तब और महत्वपूर्ण हो जाती है जब विपक्ष नीतीश कुमार की उम्र और स्वास्थ्य पर सवाल उठा रहा है। भाजपा ने स्पष्ट किया है कि वह चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ रही है, और शुरुआती रुझान इस विश्वास को सही साबित कर रहे हैं।
2020 के चुनावों की यादें
पिछले विधानसभा चुनाव में राजद सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, लेकिन कांग्रेस के खराब प्रदर्शन ने उसे सत्ता से दूर कर दिया। 2020 में राजद ने 144 सीटों पर चुनाव लड़ा और 75 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा और केवल 19 सीटें हासिल कीं। यही कारण है कि इस बार महागठबंधन ने सीट साझेदारी में अधिक सावधानी बरती थी।
अब देखना यह है कि क्या 2025 के चुनाव एक बार फिर 2020 जैसी तस्वीर पेश करेंगे या समीकरण बदलेंगे। रुझान भले ही एनडीए को बढ़त देते नजर आ रहे हों, लेकिन अंतिम परिणाम ही असली तस्वीर पेश करेंगे।
नतीजों पर नजरें
मतगणना के हर चरण के साथ राजनीतिक तापमान बढ़ता जा रहा है। एनडीए की बढ़त ने उसके समर्थकों में उत्साह भर दिया है, जबकि महागठबंधन अब भी उम्मीद कर रहा है कि जैसे-जैसे ग्रामीण क्षेत्रों की गिनती बढ़ेगी, रुझान उनके पक्ष में बदल सकते हैं।
यह निश्चित है कि बिहार का यह चुनाव अपने हर मोड़ के साथ रोमांच बढ़ा रहा है और अंतिम नतीजे आने तक राजनीतिक हलचल जारी रहेगी।