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Devuthani Ekadashi 2025: एक विशेष दिन का महत्व और त्रिस्पर्श योग

देवउठनी एकादशी 2025 का पर्व 2 नवंबर को मनाया जाएगा, जिसमें भगवान विष्णु की जागृति का महत्व है। इस दिन त्रिस्पर्श योग का संयोग भी है, जो इसे और खास बनाता है। भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और पूजा करते हैं, जिससे उन्हें पुण्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है। जानें इस पर्व का धार्मिक और सामाजिक महत्व, और कैसे यह दिन विवाह और अन्य शुभ कार्यों की शुरुआत करता है।
 

Devuthani Ekadashi 2025: दिल्ली

हिंदू धर्म में देवउठनी एकादशी का दिन अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु अपनी चार महीने की योग निद्रा से जागते हैं।


इस वर्ष का पावन पर्व

यह विशेष पर्व 2 नवंबर 2025 को मनाया जाएगा, और इस बार यह दुर्लभ त्रिस्पर्श योग में आ रहा है। इस दिन एकादशी, द्वादशी और त्रयोदशी तीन तिथियाँ एक साथ पड़ रही हैं। ज्योतिषियों के अनुसार, ऐसा संयोग बहुत कम देखने को मिलता है और इसका फल 1000 एकादशियों के बराबर होता है!


देवउठनी एकादशी का महत्व

इस दिन भगवान विष्णु के जागने के साथ सभी शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। भक्त इस दिन व्रत रखते हैं, पूजा करते हैं और पापों से मुक्ति प्राप्त करते हैं।


इस दिन तुलसी-शालिग्राम विवाह करने से कन्यादान के समान पुण्य मिलता है। शास्त्रों में कहा गया है कि तुलसी विवाह से भाग्य और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।


सामाजिक और धार्मिक महत्व

यह पर्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। चतुर्मास का अंत इसी दिन होता है, जिसके बाद शादियाँ और अन्य मंगल कार्य आरंभ होते हैं। माता लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की पूजा करने से वैवाहिक जीवन में सुख और धन की वृद्धि होती है।


त्रिस्पर्श योग का महत्व

पद्म पुराण के अनुसार, त्रिस्पर्श योग अत्यंत दुर्लभ होता है। इस दौरान की गई पूजा और दान का फल कई गुना बढ़ जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस योग में व्रत और पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है।


इस बार देवउठनी एकादशी त्रिस्पर्श योग में आ रही है, जिससे इसका महत्व और भी बढ़ गया है। सच्चे मन से व्रत रखें और पूरे समर्पण से पूजा करें – यही इस दिन का असली फल है। लाखों भक्त इस पावन दिन को एक साथ मनाने के लिए तैयार हैं!