उत्पन्ना एकादशी: भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
उत्पन्ना एकादशी का महत्व
हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष स्थान है। यह माना जाता है कि विधिपूर्वक एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। इस वर्ष मार्गशीर्ष मास की उत्पन्ना एकादशी को अत्यंत शुभ माना जा रहा है। यदि इस दिन पूजा-पाठ सही समय और शास्त्रीय विधि से किया जाए, तो साधक को विशेष फल की प्राप्ति होती है।
राहुकाल में पूजा से बचें
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, राहुकाल को अशुभ समय माना जाता है। इस समय में पूजा, व्रत, यात्रा या किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से बचना चाहिए। उत्पन्ना एकादशी के दिन राहुकाल सुबह 9:25 बजे से 10:45 बजे तक रहेगा। इसलिए इस अवधि में पूजा या मंत्रजप करना शुभ परिणाम नहीं देता।
भगवान विष्णु की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त
1. अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:44 बजे से दोपहर 12:27 बजे तक
2. विजय मुहूर्त: दोपहर 1:53 बजे से 2:36 बजे तक
3. गोधूलि मुहूर्त: शाम 5:27 बजे से 5:54 बजे तक
इन समयों में पूजा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और भक्त की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
पूजा और व्रत की विधि
उत्पन्ना एकादशी के दिन भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के सामने पीले फूल, पीला चंदन और तुलसी दल अर्पित करें। तुलसी को इस दिन तोड़ना वर्जित है, इसलिए एक दिन पहले ही उसके पत्ते तोड़कर रख लें। पूजा के दौरान 'विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र' का पाठ करना अत्यंत शुभ माना गया है। इससे जीवन में शांति और सकारात्मकता का संचार होता है।
भगवान विष्णु के मंत्रों का जप
इस दिन विष्णु भगवान के पवित्र मंत्रों का जाप करने से विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
1. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः
2. ॐ वासुदेवाय विघ्महे वैद्यराजाय धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात्
3. मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः। मङ्गलम् पुण्डरीकाक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥
4. शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्... वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥
इन मंत्रों का स्मरण और व्रत का पालन सच्चे भाव से करने पर भगवान विष्णु की अनुकंपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख, समृद्धि तथा आत्मिक शांति का वास होता है।