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कामिका एकादशी और सावन सोमवार का विशेष महत्व

इस वर्ष सावन में कामिका एकादशी और सावन सोमवार का विशेष संयोग बन रहा है। जानें इन दोनों दिनों का महत्व, पूजा विधि और कैसे इनकी भक्ति से जीवन में सुख और शांति प्राप्त की जा सकती है। यह अवसर भक्तों के लिए अत्यंत शुभ है, जिससे दोनों देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।
 

कामिका एकादशी का महत्व

कामिका एकादशी 2025: सावन का पवित्र महीना चल रहा है, जिसमें भक्ति का वातावरण बना हुआ है। इस वर्ष, कामिका एकादशी और सावन सोमवार एक साथ आ रहे हैं। इसका अर्थ है कि एक दिन भगवान विष्णु की पूजा होगी और अगले दिन भगवान शिव की। ऐसा संयोग बहुत ही दुर्लभ होता है। आइए, हम कामिका एकादशी और सावन सोमवार के महत्व को समझते हैं।


कामिका एकादशी क्या है?

कामिका एकादशी सावन के महीने में आने वाली एकादशी है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से पुराने पापों का नाश होता है और मन को शांति मिलती है।


लोग इस दिन फलाहार करते हैं, भजन-कीर्तन करते हैं और रात में भगवान विष्णु की कथा सुनते हैं। इस दिन की पूजा से घर में सुख और शांति बनी रहती है।


सावन सोमवार का महत्व

सावन सोमवार क्यों महत्वपूर्ण है?


सावन सोमवार भगवान शिव की भक्ति के लिए एक विशेष दिन है। जो लोग इस दिन व्रत रखते हैं और शिवलिंग पर जल, दूध और बेलपत्र चढ़ाते हैं, उनकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।


यह व्रत शादी, नौकरी, संतान और मानसिक शांति के लिए बहुत प्रभावी माना जाता है। इसलिए लाखों लोग इस दिन भगवान शिव की पूजा करते हैं।


कामिका एकादशी और सावन सोमवार का संबंध

दोनों का आपस में क्या संबंध है?


कामिका एकादशी और सावन सोमवार का एक साथ आना बहुत शुभ माना जाता है। एक दिन भगवान विष्णु की पूजा और अगले दिन भगवान शिव की पूजा करने से दोनों देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।


पंडितों का मानना है कि यदि कोई व्यक्ति इन दोनों व्रतों का पालन करता है, तो उसके जीवन की कई कठिनाइयाँ दूर हो जाती हैं। घर में समृद्धि आती है और मन को शांति मिलती है।


इन खास दिनों में क्या करें?

क्या करें इन दो खास दिनों में?


कामिका एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करें, फलाहार करें और तुलसी के पास दीपक जलाएं। वहीं, सावन सोमवार को सुबह उठकर भगवान शिव को जल चढ़ाएं, “ॐ नमः शिवाय” का जाप करें और दिनभर व्रत रखें।